बहुत कुछ सिखाया इस कोरोना काल ने, बहुत कुछ बाकी

बच्चे बता रहे कोरोना से दूर रहने के उपाय जीवनचर्या में योग का महत्व

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 08:00 AM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 08:00 AM (IST)
बहुत कुछ सिखाया इस कोरोना काल ने, बहुत कुछ बाकी
बहुत कुछ सिखाया इस कोरोना काल ने, बहुत कुछ बाकी

आगरा, जागरण संवाददता। कोविड-19, इस नाम को सुनकर हम सभी शुरुआत से ही काफी डरे हुए थे। इसके कारण जब देशभर में लाकडाउन हुआ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि अभी कोविड-19 की कोई दवा या टीका उपलब्ध नहीं है, तो हमारी परेशानी और बढ़ गई क्योंकि घर में रहना था, लेकिन कब तक, इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं था। ऐसे में सभी के जेहन में यही प्रश्न था कि इससे बचा कैसे जाए। टीवी, सोशल मीडिया और चिकित्सकों ने इससे बचाव का सिर्फ एक ही उपाय बताया था कि हमें अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी है। लिहाजा खुद को अंदर से मजबूत बनाने के लिए हमने परिवार के साथ मिलकर नियमित रूप से सर्वप्रथम योगाभ्यास करने का निर्णय लिया और प्रात दो घंटे का समय योगाभ्यास में व्यतीत करने लगे।

इन दो घंटों को हमने दो चरणों में बांटा, पहले घंटे में हमने सूर्य नमस्कार, सर्वांगासन, मत्स्यासन, हलासन आदि योग किए और दूसरा घंटा प्राणायाम को दिया, जिसमें अनुलोम विलोम और भ्रामरी आसन प्रमुख थे।

लाकडाउन का सबसे ज्यादा असर हमारी शिक्षा पर पड़ा। स्कूल बंद होने के कारण शुरुआत में हमें काफी अच्छा लगा कि चलो स्कूल से आजादी मिली, लेकिन बाद में जब लाकडाउन खिचा, तो पढ़ाई प्रभावित होने की चिता होने लगी। क्योंकि, स्थिति देखकर स्पष्ट हो गया था कि फिलहाल स्कूल नहीं खुलेंगे और हालात भी नहीं सुधरेंगे। लेकिन सरकार ने हमारी परेशानी को समझा और आनलाइन कक्षाओं में अध्ययन प्रारंभ हुआ। इनके माध्यम से अर्जित ज्ञान से हमें पढ़ाई करने का एक अलग व नया अनुभव मिला, क्योंकि अभी तक मोबाइल औ कंप्यूटर को हम सिर्फ मूवी, गेम्स आदि खेलने के लिहाजा से ही अधिक जानते थे। लेकिन उनके इस नए प्रयोग को अभिभावकों का भी पूरा समर्थन मिला और उन्होंने आनलाइन पढ़ाई में पूरा सहयोग किया। हालांकि कुछ बच्चों को अत्यधिक समय तक मोबाइल व लैपटाप चलाने के कारण आंखों संबंधी समस्याएं भी झेलनी पड़ीं, लेकिन पढ़ाई का एकमात्र विकल्प होने के कारण हमारे पास दूसरा विकल्प नहीं था। सरकार ने इस समस्या को भी समझा और आनलाइन कक्षाओं के साथ पढ़ाई के लिए डिजिटल कक्षाएं दूरदर्शन पर शुरू कर दीं। इन पर प्रसारित वीडियो लेक्चर हमारे लिए सबसे ज्यादा सार्थक साबित हुए क्योंकि इन्हें देखने के बाद मन में आने वाले सारे सवालों के समाधान तुरंत बिना पूछे ही मिल जाते थे। इसका एक कारण यह भी था कि इन्हें शिक्षकों ने बहुत ही ज्यादा मेहनत से तैयार किया था। लिहाजा इनसे उन विद्यार्थियों को भी बहुत सहायता मिली, जिनके पास स्मार्ट फोन जैसे संसाधनों की कमी थी।

स्वाध्याय पर अधिक ध्यान देने से पढ़ाई पहले की अपेक्षा ज्यादा बेहतर हो गई, जो समस्याएं आईं, उनका समाधान हमारे शिक्षकों ने आनलाइन कक्षाओं में किया।

लाकडाउन में खानपान व्यवस्थित होने व प्रतिदिन गिलोय व तुलसी आदि से बने काढ़े का सेवन करने से बीमारी पास भी नहीं आई। हालांकि लाकडाउन में कुछ बुराइयों के साथ अच्छी बातें भी सीखीं। अच्छी बातों में हमने योग व पेड़-पौधों के साथ अधिक समय व्यतीत करना सीखा। साथ ही परिवार के साथ अधिक समय बिताने को मिला। लेकिन खराब यह रहा कि इस बीमारी ने लोगों की सोच व मन में एक तरह से दूरियां ला दीं, जो वक्त से साथ दूर होंगी। हालांकि हम सभी अब तक के सामूहिक प्रयास में सफल रहे हैं क्योंकि हम और परिवार के लोग स्वस्थ हैं। लेकिन सावधानी अब भी जरूरी है क्योंकि वैक्सीन आनी अब भी बाकी है। स्निग्धा गोस्वामी, कक्षा 12, क्वीन विक्टोरिया ग‌र्ल्स इंटर कालेज।

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