अटल के गीत बने यादों के मीत
आगरा : अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद लोगों को उनकी शख्सियत के बारे में जानने की उत्कंठा बढ़ गई है।
आगरा : अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद लोगों को उनकी शख्सियत के बारे में जानने की उत्सुकता और बढ़ गई है। उनकी पुस्तकों को पढ़कर वे अपनी उत्कंठा शांत कर रहे हैं। बुक स्टोर्स पर अटल की किताबों की डिमांड बढ़ गई है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त को निधन हुआ था। सोशल मीडिया, समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों पर अटल की कविताओं, संस्करण आदि के जरिए उनकी शख्सियत प्रकाशित, प्रचारित और प्रसारित हुई। लोगों में अटल को और गहराई से जानने की उत्कंठा बढ़ गई। वे पुस्तकों में डूबने को बेकरार हो गए। सदर बाजार स्थित मॉडर्न बुक डिपो के भूषण कुमार कहते हैं कि अटल द्वारा लिखित और उनकी जिंदगी से संबंधित दर्जनभर से अधिक किताबें आ गई। एक दिन में 15 से 20 किताबों की बिक्री हो रही है।
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दिल को छू गई- 'क्या खोया, क्या पाया'
छात्रा रुचि सिंह ने बताया कि 'मेरी इक्यावन कविताएं' ने तो गदगद कर ही दिया, 'क्या खोया, क्या पाया' किताब भी दिल को छू गई। शिक्षक श्वेता शुक्ला कहती हैं कि 'कुछ लेख, कुछ भाषण' किताब की एडवांस बुकिंग करानी पड़ी। इस किताब से कई सीख मिलीं हैं। गृहणी दीक्षा राजपूत ने बताया कि 'हार नहीं मानूंगा' किताब में कई अहम जानकारियां मिलीं। ---
इन किताबों की सबसे अधिक बिक्री
किताब का नाम, लेखक
- मेरी इक्यावन कविताएं, अटल बिहारी वाजपेयी
- क्या खोया, क्या पाया, अटल बिहारी वाजपेयी
- कुछ लेख, कुछ भाषण, अटल बिहारी वाजपेयी
- हार नहीं मानूंगा, विजय त्रिवेदी
- वाजपेयी-एक राजनेता के अज्ञात पहलू, उल्लेख
- द वाजपेयी एरा, आदित्य (अंग्रेजी में)