Footwear Industry Agra: कोरोना, महंगाई और टैक्स की मार से जूझ रही आगरा की फुटवियर एक्सपोर्ट इंडस्ट्री
कोरोना के चलते यूरोपीय देशों से मिलने वाले आर्डर में गिरावट। महंगाई व करारोपण से बढ़ गई है लागत निर्यात भी हुआ महंगा। यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते जूता निर्यातकों को 30 से 40 फीसद तक ही आर्डर मिले हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस संक्रमण, कर, महंगाई और कंटेनर के भाड़े में वृद्धि ने आगरा के जूता निर्यात उद्याेग को संकट में डाल दिया है। कोरोना के चलते पहले आर्डर कम मिले। सरकार ने कच्चे चमड़े के आयात पर 10 फीसद कर लगा दिया। जूता निर्माण में प्रयुक्त होने वाली सामग्री के दाम बढ़ गए और फिर कंटेनर के भाड़े में हुई तीन गुना से अधिक की वृद्धि ने उद्यमियों की परेशानियों में और इजाफा कर दिया है।
अार्डर में 60 फीसद तक कमी
यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते जूता निर्यातकों को 30 से 40 फीसद तक ही आर्डर मिले हैं। वहां पिछले वर्ष हुए लाक डाउन के चलते बाजार बंद रहे थे। व्यापारियों के पास माल बचा हुआ था, जिसके चलते उन्होंने बहुत कम आर्डर दिए। इस वर्ष भी जूता निर्यात उद्योग इस स्थिति से उबरने में सक्षम नहीं है।
कंटेनर का भाड़ा तीन गुना से अधिक बढ़ा
जूता निर्यातक शिप के द्वारा यूरोपीय देशों को जूता भेजते हैं। कंटेनर का भाड़ा जनवरी, 2020 में 1280 डालर था। अप्रैल में यह भाड़ा बढ़कर 3950 डालर तक पहुंच गया।
कच्चे चमड़े के आयात पर लगा 10 फीसद कर
आगरा के जूता निर्यातक जूता बनाने को कच्चे चमड़े का आयात पड़ोसी देशों से करते थे। बजट में सरकार ने कच्चे चमड़े के आयात पर पहली बार 10 फीसद कर लगा दिया था। इसके साथ ही जूता निर्यातकों को जूते की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आयात की जाने वाली अन्य सामग्री के आयात पर मिलने वाली पांच फीसद की छूट को भी खत्म कर दिया था।
बढ़ गए हैं निर्माण सामग्री के दाम
जूता निर्माण सामग्री के दाम पिछले कुछ समय में 20 से 25 फीसद तक बढ़ गए हैं। सोल, टीपीआर, लाइनिंग, लेस, एडहेसिव आदि के मूल्यों में हुई वृद्धि ने लागत बढ़ा दी है।
जूता निर्यात कारोबार: एक नजर
-आगरा का जूता निर्यात काेराना काल से पूर्व करीब पांच हजार करोड़ रुपये वार्षिक का था।
-कोरोना काल में इसमें 50 फीसद तक गिरावट आई है।
-करीब 150 जूता निर्यातक इकाइयां आगरा में हैं।
-देश के जूता निर्यात में आगरा की 28 फीसद की भागीदारी है।
-आगरा से होने वाले जूता निर्यात का 80 फीसद यूरोपीय देशों और 16 फीसद अमेरिका को होता है।
कंटेनर के भाड़े में एक वर्ष में तीन गुना से अधिक वृद्धि हो चुकी है, जिससे निर्यात करना महंगा हो गया है। कोरोना काल में आर्डर आधे से भी कम मिले। जूता उद्योग को इससे उबरने में वक्त लगेगा।
-पूरन डावर, अध्यक्ष एफमेक
कोरोना के चलते यूरोपीय देशों से बहुत कम आर्डर मिला था। कच्चे चमड़े के आयात पर कर लगने, निर्माण सामग्री के मूल्य में वृद्धि और कंटेनर के भाड़े में हुई वृद्धि ने विषम परिस्थितियां उत्पन्न कर दी हैं।
-शाहरू मोहसिन, जूता निर्यातक