Kisan Rail: आगरा के किसान को मिलेगा आलू का उचित भाव, असम के लिए रवाना होगी किसान ट्रेन
आगरा से आलू लेकर किसान रेल सोमवार को सुबह असम के लिए रवाना होगा। इस महीने में यह ट्रेन का दूसरा फेरा है। बहुत कम किराए में आगरा के आलू उत्पादकों को मिला है नया बाजार। ट्रक से भेजने में भाड़ा अधिक था और आपूर्ति भी कम हो रही है।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा का आलू लेकर किसान रेल 13 सितंबर को सुबह 4.30 बजे असम के लिए रवाना होगी। इस ट्रेन का यह दूसरा फेरा होगा। किसान रेल छह सितंबर को शुरू हुई थी। पहले ही दिन 270 टन आलू लेकर यह असम के लिए रवाना हुई थी। बीते मंगलवार शाम पांच बजे असम के चांगसारी स्टेशन पर पहुंची इस ट्रेन से आलू किसानों को काफी उम्मीदें हैं।
स्पेशल साप्ताहिक किसान रेल (गाड़ी संख्या 00491) टूंडला, प्रयागराज, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से बिहार के दानापुर, बरौनी, कटिहार होते हुए असम के चांगसारी स्टेशन पर पहुंचेगी। इसमें 12 पार्सल यान और एक एसएलआर है। इस रेल के माध्यम से आलू के लगभग 5400 पैकेट भेजे गए थे। इस ट्रेन का संचालन फिलहाल 13, 20 और 27 सितंबर को होगा। इसके बाद इसकी उपयाेगिता के आधार पर इसका भविष्य निर्भर करेगा। आगरा रेल मंडल के जनसंपर्क अधिकारी एसके श्रीवास्तव का कहना है कि किसान रेल का एक विशेष लाभ यह है कि इसमें किसानों को प्रभावी पार्सल दरों की तुलना में 50 फीसद कम शुल्क देना पड़ेगा। इस ट्रेन के संचालन का मकसद आलू किसानों को प्रोत्साहित करना है। फेडरेशन आफ कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश गोयल का कहना है कि रेलवे की यह सराहनीय पहल है। इससे न सिर्फ किसान बल्कि कोल्ड स्टोरेज संचालक भी लाभान्वित होंगे।एक साथ इतनी मात्रा में आलू दूसरे प्रांतों में जाने से कोल्ड जल्द खाली होंगे। इसके बदले वह दूसरे फल, सब्जी कोल्ड में रख सकेंगे। ट्रक में काफी कम मात्रा में आलू जा पाते हैं। ऐसे में कोल्ड से आलू की निकासी लंबे समय तक चलती है। कोल्ड भरे रहते हैं।किसान दिनेश शर्मा का कहना है कि इस तरह की ट्रेनों का संचालन नियमित होना चाहिए। रेलवे की यह अच्छी पहल है। इससे किसान कम भाड़े पर सब्जी, फल आदि असम जैसे दूसरे प्रांतों तक पहुंचा सकते हैं। इस ट्रेन से हमें काफी उम्मीदें हैं। सोमवीर यादव का कहना है कि दूरस्थ स्थानों पर आलू भेजने में काफी समय और रुपया लगता था। ऐसे में बहुत से किसान फल, सब्जी आदि बाहर भेजने में हिचकिचाते थे। भाड़ा कम होने से किसान काफी लाभान्वित होंगे।