फतेहपुर सीकरी में छह वर्ष पूर्व मिला था मुगलकालीन अंडरग्राउंड वाटर टैंक, चूने का हुआ था इस्‍तेमाल

राजा टोडरमल की बारादरी में लंगरखाना के पास बने टैंक में बारिश का पानी किया जाता था जमा। मलबा निकलवाकर कराया गया था साफ अब मिला है टैंक व फव्वारा। उत्खनन करने पर टैंक में जाने को बनी हुई सीढ़ियां और रास्ता मिले थे।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 01:20 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 01:20 PM (IST)
फतेहपुर सीकरी में छह वर्ष पूर्व मिला था मुगलकालीन अंडरग्राउंड वाटर टैंक, चूने का हुआ था इस्‍तेमाल
फतेहपुरसीकरी में प्राचीन टैंक का संरक्षण करते मजदूर।

आगरा, जागरण संवाददाता। फतेहपुर सीकरी में राजा टोडरमल की बारादरी में समय के साथ जमा हुई गर्द हटने के बाद जमीन के अंदर से मुगलकालीन टैंक और फव्वारा उत्खनन में सामने आया है। इससे पूर्व भी यहां अनमोल धरोहरें सामने आती रही हैं। करीब छह वर्ष पूर्व लंगरखाना के नजदीक अंडरग्राउंड वाटर टैंक मिला था, जिसका इस्तेमाल मुगल काल में बारिश के पानी को जमा करने के लिए किया जाता था।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) इन दिनों फतेहपुर सीकरी स्थित राजा टोडरमल की बारादरी में संरक्षण कार्य कर रहा है। संरक्षण के दौरान बारादरी के सामने उत्खनन किए जाने पर चूने के प्लास्टर का डिजाइनदार टैंक मिला है। इसके मध्य में फव्वारा भी है। इसके बारादरी के गेट के ठीक सामने बने होने से एएसआइ अधिकारी इसके बारादरी के साथ ही बनाए जाने की बात कह रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं है, जब फतेहपुर सीकरी में जमीं के अंदर दबी विरासत सामने आई हो। छह वर्ष पूर्व एएसआइ द्वारा बुलंद दरवाजा के दक्षिण-पूर्वी कोने पर स्थित लंगरखाना में संरक्षण कार्य के दौरान अंडरग्राउंड वाटर टैंक मिला था। उत्खनन करने पर टैंक में जाने को बनी हुई सीढ़ियां और रास्ता मिले थे। टैंक में मलबा भरा हुआ था, जिसकी सफाई एएसआइ द्वारा कराई गई थी। अंडरग्राउंड वाटर टैंक में छतों के पानी को मुगल काल में एकत्र किया जाता था। इसका इस्तेमाल लंगर बनाने व पेयजल के रूप में हाेता था। एएसआइ ने यहां संरक्षण कार्य कराते हुए रास्ते व पानी निकासी की जगह पर लोहे का जाल लगवा दिया गया था।

वाटर चैनल भी मिला था

कारवान सराय के पास स्थित अष्टकोणीय बाबड़ी का संरक्षण वर्ष 2014-16 के दरम्यान कराया गया था। तब फतेहपुर सीकरी कांप्लेक्स के महलों से बाबड़ी तक आने वाला वाटर चैनल भी मिला था। इसमें छोटे-छोटे टैंक बने हुए थे, जिनका संरक्षण कराया गया था। बाबड़ी में बाबर, अकबर और जहांगीर के समय काम किया गया था। 

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