Mahakavi Soordas: 500 साल बाद अब अपने नाम से जानी जाएगी महाकवि सूरदास की साधना स्थली, महमदपुर से परासौली हुआ नाम

सरकार ने महमदपुर का नाम बदलने का आदेश जारी किया। चार दशक से ग्रामीण कर रहे थे नाम बदलने की मांग। सूरदास ने 73 साल यहीं की थी साधना। वैष्णवन वार्ता में उल्लेख है कि मुगल आक्रांताओं ने करीब 500 साल पहले परासौली का नाम बदलकर महमदपुर कर दिया था।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 08:32 AM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 08:32 AM (IST)
Mahakavi Soordas: 500 साल बाद अब अपने नाम से जानी जाएगी महाकवि सूरदास की साधना स्थली, महमदपुर से परासौली हुआ नाम
परासौली में स्थित महाकवि सूरदास की साधना स्‍थली।

आगरा, जेएनएन। साहित्यिक गगन के सूर्य महाकवि सूरदास की साधना स्थली परासौली अब राजस्व अभिलेखों में भी इसी नाम से जानी जाएगी। मुगल आक्रांताओं ने इसका नाम बदलकर महमदपुर कर दिया था। तब से सरकारी कामकाज से यही नाम चल रहा था। करीब चार दशक से ग्रामीण इसका नाम बदलने की सरकार से मांग कर रहे थे। इस पर अब सरकार ने मुहर लगा दी है।

परासौली के नाम से सूरदास ब्रज रासस्थली विकास समिति भी गठित हैं। यहां के लोग 1982 से नाम बदलने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे थे। समिति के सचिव हरीबाबू कौशिक बताते हैं कि महमदपुर गांव का नाम परासौली किए जाने की मांग को लेकर अब तक के सभी मुख्यमंत्री को पत्र भेजे गए थे। करीब चार साल पहले उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन हुआ तो उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्रा से भी प्रतिनिधि मंडल मिला था। बीती 14 फरवरी, 2021 को कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक स्थल में आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नाम बदलने का आश्वासन दिया था। 24 मार्च को राजस्व परिषद की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई।

महाकवि ने बिताए 73 वर्ष

महाकवि सूरदास ने अपनी काव्य साधना के स्वर्णिम 73 वर्ष गोवर्धन के समीप चंद्र सरोवर में बिताए। उन्होंने यहां पदों की रचना की। भक्तमाल के रचयिता श्रीनाभा जी ने लिखा है कि सूरदासजी उद्धवजी के अवतार थे। भागवत ङ्क्षककर गोपाल प्रसाद उपाध्याय बताते हैैं कि इतिहास में वर्णन मिलता है कि सूरदासजी ने लगभग 15 वर्ष की अवस्था में महाप्रभु बल्लभाचार्य जी से दीक्षा ली। वह नित्य श्रीनाथजी को कीर्तन सुनाने परासौली से जतीपुरा जाते थे। सूर सागर, साहित्य लहरी, सूर सारावली जैसे ग्रंथों की रचना की।

500 साल पहले बदला नाम

गोपाल प्रसाद उपाध्याय बताते हैं कि बल्लभकुल की पुस्तक वैष्णवन वार्ता में इस बात का उल्लेख है कि मुगल आक्रांताओं ने करीब 500 साल पहले परासौली का नाम बदलकर महमदपुर कर दिया था। तब से महमदपुर के नाम से ही इसे जाना जाता है।

ये भी जानिए

महाकवि सूरदास की साधना स्थली और भगवान श्रीकृष्ण की महारास स्थली के अलावा इसे पराशर ऋषि की तपोभूमि के कारण परासौली कहा जाता है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि यहां पलाश के वृक्ष की अधिकता थी। इस कारण परासौली के नाम से जाना जाता है।

फैक्‍ट फाइल

22 सौ की आबादी है परासौली की।

40 साल से गांव का नाम महमदपुर करने की उठ रही थी मांग।

02 किमी गोवर्धन से दूर से परासौली।

सरकार ने महमदपुर का नाम बदलकर परासौली किए जाने की अधिसूचना जारी कर दी है। इसका नाम अब परासौली हो गया है।

- राहुल यादव, एसडीएम, गोवर्धन 

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