Lighting At Tajmahal: 76 साल पहले रात में रोशन हुआ था ताजमहल, अमेरिकी सैनिकों ने मनाया था यहां VE Day

कोरोना से बचाव को 100 करोड़ वीं वैक्सीन की डोज लगने पर रोशन होने हैं आगरा के चार स्मारक। ताजमहल पर नहीं किया गया विचार कीड़ाें के हमले के चलते नहीं कर सकते रोशनी। वर्ष 1997 में यान्नी के शो के दौरान भी ताजमहल रंग-बिरंगी रोशनी में नहा उठा था।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 01:15 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 05:21 PM (IST)
Lighting At Tajmahal: 76 साल पहले रात में रोशन हुआ था ताजमहल, अमेरिकी सैनिकों ने मनाया था यहां VE Day
एमएस वत्स की रिपोर्ट में दिया गया ताजमहल को अमेरिकी सैनिकों द्वारा फ्लड लाइट में रोशन करने का चित्र।

आगरा, निर्लोष कुमार। देश कोरोना की 100 करोड़ वीं वैक्सीन की डोज लगने पर जश्न मनाने की तैयारी में जुटा है। स्वदेशी वैक्सीन ने जहां दुनियाभर में देश के आत्मनिर्भर होने का संदेश दिया है, वहीं जश्न में राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रभक्ति उबाल मारेगी। देश के 100 स्मारकों को तिरंगी रोशनी में रोशन किया जाएगा। आगरा के चार स्मारक भी इनमें शामिल हैं, लेकिन दुनियाभर में भारत की पहचान कहे जाने वाले ताजमहल की चर्चा भी नहीं है। ऐसा नहीं है कि ताजमहल कभी रोशन नहीं हुआ। 76 वर्ष पूर्व फ्लड लाइट की रोशनी में ताजमहल को रोशन किया गया था। अमेरिकी सैनिकों ने ताजमहल में विक्ट्री इन यूरोप डे (वीई डे) मनाया था। वर्ष 1997 में यान्नी के शो के दौरान ताजमहल रंग-बिरंगी रोशनी में नहा उठा था। दुनियाभर को इस नजारे ने मोह लिया था। मगर, ताजमहल के हुस्न को बरकरार रखने के लिए ताजमहल पर लाइटिंग का ख्वाब हकीकत नहीं बन सका।

देश के जिन 100 स्मारकों को कोरोना वैक्सीन की 100 करोड़ वीं डोज लगने पर रोशन किया जाना है, उनमें ताजनगरी स्थित आगरा किला, फतेहपुर सीकरी, एत्माद्दौला और सिकंदरा हैं। 13 अक्टूबर की रात भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के आगरा सर्किल ने ट्रायल करते हुए इन स्मारकों को रोशन भी किया था। तिरंगी रोशनी में जगमग स्मारकों के नजारे ने लोगों के मन को मोह लिया था। उनके मन में यही सवाल कौंधा था कि जब यह स्मारक रोशन हो सकते हैं, तो ताजमहल क्यों नहीं? वो ताे दुनिया के सात अजूबों में शुमार है। बहरहाल, ताजमहल के संगमरमरी हुस्न को कीड़ों द्वारा छोड़ी जाने वाली गंदगी से होने वाले नुकसान से बचाने को रोशन नहीं किया जा सकता है, मगर ऐसा नहीं है कि ताजमहल को कभी रोशन ही नहीं किया गया हो। आठ मई, 1945 को संयुक्त राज्य अमेरिका के सैनिकों ने ताजमहल को फ्लड लाइट की रोशनी में रोशन कर वीई डे मनाया था। इसका जिक्र देश के स्वतंत्र होने से पूर्व एएसआइ के नोर्दर्न सर्कल के अधीक्षण पुरातत्वविद् रहे एमएस वत्स की द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ताजमहल के गुंबद के संरक्षण पर दी गई रिपोर्ट में मिलता है। वीई डे पर फ्लड लाइट में रोशन ताजमहल का फोटोग्राफ भी उन्होंने अपनी रिपोर्ट में दिया है। ताजमहल देश का पहला स्मारक था, जिस पर लाइटिंग की गई थी।

यान्नी के शो में ताज को किया गया था रोशन

विश्व प्रसिद्ध यूनानी संगीतकार यान्नी का शो 20 से 24 मार्च, 1997 तक ताज के पार्श्व में ग्यारह सीढ़ी के पास हुआ था। शो के दौरान ताजमहल पर रंग-बिरंगी फ्लड लाइट डाली गई थीं। धवल संगमरमरी ताजमहल के हुस्न पर जगमगाती लाइटों का जादू पर्यटकों पर जमकर चला था। वर्ष 1999 में टीवी शो सारेगामापा का फाइनल ताजमहल के पीछे स्टेज बनाकर शूट किया गया था। इसके बाद विदेशी और भारतीय पर्यटकों में ताजमहल देखने का क्रेज बढ़ता चला गया।

अर्जुन सिंह के आदेश पर किया गया था रोशन

टूरिज्म गिल्ड आफ आगरा के उपाध्यक्ष राजीव सक्सेना ने बताया कि वर्ष 1996 में तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री अर्जुन सिंह के आदेश पर ताजमहल को रात में रोशन किया गया था। मैसूर लैंप्स ने टूरिज्म गिल्ड की मांग पर ताजमहल को रोशन किया था। यान्नी के शो और सारेगामापा के शो के दौरान भी ताजमहल को रोशन किया गया था। गजल गायक सुधीर नारायन बताते हैं कि वर्ष 1996 में जब ताजमहल को रोशन किया गया था, तब वो वहां मौजूद थे। ताजमहल अकल्पनीय रूप से सुंदर दिख रहा था।

इसलिए नहीं हो सका रोशन

यान्नी के शो के बाद एएसआइ द्वारा ताजमहल पर रोशनी डालने का प्रभाव जानने को अध्ययन कराया गया था। इसमें कहा गया था कि ताजमहल पर रोशनी डाले जाने पर कीड़े आकर्षित होंगे और उसकी संगमरमरी सतह पर गंदगी छोड़ेंगे। इससे स्मारक की संगमरमरी सतह को नुकसान पहुंच सकता है। इसके चलते पर्यटन संस्थाओं की निरंतर मांग के बावजूद एएसआइ ने इस दिशा में सोचना ही छोड़ दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च, 1998 के आदेश में स्पष्ट कर दिया था कि ताजमहल की 500 मीटर की परिधि में कोई भी कार्यक्रम ताजमहल के पर्यावरणीय परिवेश पर पड़ने वाले प्रभाव का पूर्व अध्ययन कराए बिना नहीं हो सकेगा। अध्ययन के बाद सक्षम अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी। ताजमहल की दीवार पर नेशनल इन्वायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) की सिफारिश के अनुसार 50 डेसीबल से अधिक ध्वनि नहीं होनी चाहिए।

आठ मई, 1945 को मना था वीई डे

वीई डे आठ मई, 1945 को मनाया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मित्र देशों की संयुक्त सेनाओं के समक्ष जर्मनी की सेना ने आठ मई, 1945 को बिना शर्त आत्मसमर्पण किया था। इसके साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध का समापन हो गया था। यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका में इसे वीई डे के रूप में मनाया जाता है।

आगरा में रही थी मित्र देशों की एयरफोर्स

द्वितीय विश्व युद्ध और उसके बाद तक (वर्ष 1942 से 1946) तक मित्र देशों की एयरफोर्स आगरा में रही थी। उनके आपरेशन खेरिया एयरपोर्ट से हुए थे। टाटा द्वारा वर्ष 1937-39 में बनाई गई हवाई पट्टी उनके अधिकार में रही थी। यहां थ्री डी एयर डिपो ग्रुप बनाया गया था। 10वीं एयरफोर्स के रूप में यह 10 मार्च, 1942 को यहां आई थी और छह अप्रैल, 1946 तक रही थी। रिपेयर स्क्वाड्रन 1942 से 1945 तक थ्री डी एयर डिपो ग्रुप के भाग के रूप में यहां रही थी। अपने एंबलम में उन्होंने ताजमहल को जगह दी थी।

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