Love Story: मोहब्बत की झूठी कहानी पर रोईं, प्रेमियों के बहकावे में परिवार से की थी बगावत

Love Story कानपुर के राजकीय बालिका गृह में निरुद्ध हैं 160 लड़कियां। 100 से ज्यादा लड़कियां 14 से 18 साल उम्र की हैं। 70 फीसद ने प्यार के जाल में फंसकर छोड़ा घर। लड़कियां कानपुर के अलावा आगरा अलीगढ़ मेरठ झांसी गाजियाबाद मंडलों के 23 जिलों की रहने वाली हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 08:58 AM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 08:58 AM (IST)
Love Story: मोहब्बत की झूठी कहानी पर रोईं, प्रेमियों के बहकावे में परिवार से की थी बगावत
कानपुर के राजकीय बालिका गृह में निरुद्ध हैं 160 लड़कियां।

आगरा, अली अब्बास। आगरा के शाहगंज इलाके की रहने वाली किशोरी ने प्रेमी के बहकावे में आकर परिवार से बगावत कर दी। घर छोड़कर उसके साथ चली गई। स्वजन ने उसे किसी तरह खोज निकाला। घर वापस लेकर आ गए। मगर, वह बगावत करके कई बार घर से निकल गई। पति की मौत के बाद प्राइवेट नौकरी करके परिवार को चला रही मां को जब बेटी में सुधार नहीं दिखा। उन्होंने कठोर फैसला लिया, बेटी को वर्ष 2017 उन्होंने राजकीय बालिका गृह कानपुर में जाकर छोड़ दिया। मां कहना था कि जब तक बेटी को अपनी गलती का अहसास नहीं होता, वह उसे घर लेकर नहीं जाएंगी। इस दौरान बेटी की लगातार काउंसिलंग की गई। करीब 18 साल की होने वाली बेटी गलती का अहसास हुआ, अब आंखों में पश्चताप के आंसू हैं। राजकीय बालिका गृह ने मां से संपर्क किया, बेटी के पश्चताप के बारे में पता चलने पर वह करीब चार साल बाद उसे घर लेकर आएंगी।

कानपुर के राजकीय बालिका गृह में रहने वाली यह सिर्फ आगरा की ही एक लड़की की कहानी नहीं है। यहां रहने वाली दर्जनों लड़कियों की यही कहानी है। कानपुर राजकीय बालिका गृह में वर्तमान(12 मई 2021 तक) में 11 से 18 साल आयु की 161 लड़कियां रह रही हैं। यह लड़कियां कानपुर के अलावा, आगरा, अलीगढ़, मेरठ, झांसी, गाजियाबाद मंडलों के 23 जिलों की रहने वाली हैं। इनमें 100 लड़कियां 14 से 17 साल की उम्र की हैं।

यहां की अधीक्षिका उर्मिला गुप्ता बताती हैं कि काउंसिलिंग के दौरान करीब 70 फीसद मामलों में यही निकलकर सामने आता है कि लड़कियां प्यार के जाल में फंसकर बहकावे में आकर परिवार से बगावत करके घर से चली आती हैं। घर से बाहर निकलने के बाद उन्हें दुनिया और लोगों की हकीकत का पता चलता है। घर लौटने के बाद वह दोबारा से इस तरह का कदम नहीं उठाएं, इसके लिए उनकी काउंसिलिंग करनी पड़ती है। इससे कि वह अपना कल भूलकर बेहतर भविष्य की शुरूआत कर सकें। लड़कियों के स्वजन की भी काउंसिलिंग की जाती है। इससे कि वह बेटी को अपने साथ ले जाने के बाद उससे एेसी कोई बात न कहें, जिससे वह डिप्रेशन का शिकार हो जाए।

काउंसिलिग करके भेजा घर

राजकीय बालिका गृह कानपुर में जुलाई 2020 में 190 लड़कियां थीं। इनकी और परिवार के लोगों की लगातार कांउसिलिंग की गई। लड़कियों को उनकी गलती पर पछतावा हुआ। वहीं परिवार के लोगों को भी बेटियों के प्रति जरूरत से ज्यादा बेरूखी दिखाने का अहसास हुआ। अब तक तीन दर्जन से ज्यादा लड़कियों को उनके स्वजन के सुपुर्द किया जा चुका है।

क्या कहते हैं आंकड़े

घर छोड़कर आने वाली लड़कियों की राजकीय बालिका गृह और चाइल्ड लाइन द्वारा कांउसिलिंग में ये प्रमुख कारण निकलकर सामने आए।

70 फीसद: प्यार के चक्कर और प्रेमी के बहकावे में आकर घर छोड़ा था।नाबालिग होने के चलते वह अपना अच्छा और बुरा सोचने में असमर्थ थीं।

15 फीसद: माता-पिता के दोहरे रवैये से नाराज होकर। लड़कियों को लगता था कि मां-बाप उनसे ज्यादा दूसरे भाई-बहन को प्यार करते हैं।

5 फीसद: माता-पिता द्वारा किसी बात पर डांटने से नाराज होकर लड़कियों ने घर छोड़ा।

5 फीसद: माता-पिता की उम्मीदों के मुताबिक पढा़ई में अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के चलते घर छोड़ा।

5 फीसद: अभिभावकों द्वारा जरूरत से ज्यादा पाबंदी लगाने, बात-बात पर टोकने से नाराज होकर घर छोड़ा।

परिवार रखने को तैयार नहीं, अब खुद के बूते भविष्य संवारने की जिद

राजकीय बालिका गृह में रहने वाली करीब 18 वर्षीय एक लड़की को उसका परिवार अब साथ रखने को तैयार नहीं है। पिता कारोबारी हैं, मां की मौत के बाद उन्होंने दूसरी शादी कर ली। कान्वेंट स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास करने वाली मेधावी छात्रा ने दो साल पहले परिवार से बगावत कर दी। घर छोड़कर निकल गई, पिता ने पुलिस की मदद से खोज निकाला। कुछ दिन घर में रहने के बाद वह दोबारा निकल गई। करीब दो साल से बालिका गृह में रह रही है। उसके पिता से संपर्क किया लेकिन उनकी अब उसे घर बुलाने में रूचि नहीं है। पिता काे डर है कि वह फिर से घर छोड़ जाएगी, इससे समाज में उनकी बेइज्जती होगी। परिवार का रूख जानने के बाद अब लड़की भी खुद के बूते पर कुछ करके भविष्य संवारने की ठान चुकी है। फैशन डिजाइनिंग की ओर उसका रूझान देखते हुए बालिका गृह उसे आगे की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

शारीरिक और मानसिक और कारण हैं। बालिकाओं में हार्मोंस से संबंधित परिवर्तन होते हैं। इसके चलते वह दूसरों के प्रति आकर्षित होती हैं। इस क्षणिक आकर्षण को वह प्यार समझ लेती हैं। जबकि वह मानसिक व सामाजिक रूप से परिपक्व नहीं होती हैं। इस कारण वह दूसरों के बहकावे में आकर घर छोड़ देती हैं।

डा. शिव कुमार सिंह एसाेसिएट प्रोफेसर मनोविज्ञान विभाग, आगरा कालेज

घर छोड़कर आने वाली 70 फीसद लड़कियों के पीछे कहीं न कहीं प्रेम संबंध थे। नाबालिग होने के चलते ये लड़कियां अपना अच्छा और बुरा नहीं सोच पातीं, बहकावे में जल्दी आ जाती हैं। इनकी उम्र 14 से 18 साल के बीच है।

उर्मिला गुप्ता राजकीय बालिका गृह कानपुर 

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