Footwear Industry: सरकारी नीतियों से आगरा की 35 जूता फैक्ट्रियों पर पड़ा ताला, ये है वजह
बूट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन का दावा सैकड़ों कारीगर हुए बेरोजगार। बिचौली फर्में सरकार को 75 फीसद अधिक कीमत पर बेच रही हैं जूते। वर्ष 2016-17 में जिन फैक्ट्रियों का टर्नओवर 18-20 करोड़ रुपये था वो घटकर दो करोड़ रुपये रह गया है।
आगरा, जागरण संवाददाता। सरकारी नीतियों के कारण ताजनगरी में मुगल काल से फल-फूल रहे घरेलू जूता उद्योग की कमर टूट गई है। वर्ष 2017 के बाद सरकार द्वारा लगाए गए मानदंडों के कारण छोटी फैक्ट्रियां सरकारी टेंडर में हिस्सा नहीं ले पा रही हैं। दिल्ली की तीन बिचौली फर्में छोटी फर्मों व फैक्ट्रियों में कम कीमत में प्रोडक्ट तैयार कर उसे सरकार को 75 फीसद अधिक दाम पर बेच रही हैं। इसके चलते आगरा की 45 में से 35 फैक्ट्रियों पर ताले लटक गए हैं, जिससे चार-पांच हजार जूता कारीगर बेरोजगार हो गए हैं।
बाग फरजाना में बुधवार को प्रेसवार्ता करते हुए बूट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील गुप्ता ने यह दावा किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 में जिन फैक्ट्रियों का टर्नओवर 18-20 करोड़ रुपये था, वो घटकर दो करोड़ रुपये रह गया है। दो से तीन करोड़ रुपये टर्नओवर वाली छोटी फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं। सचिव अनिल महाजन ने बताया कि चार वर्ष पूर्व तक डायरेक्टर जनरल सप्लाइज एंड डिस्पोजल द्वारा टेंडर निकाले जाते थे। एयरफोर्स, नेवी, डीजीओएस के कुछ टेंडर मिनिस्ट्री आफ डिफेंस से निकलते थे, जिसमें दो से 25 करोड़ तक टर्नओवर वाली छोटी-बड़ी सभी फैक्ट्रियां भाग लेती थीं। कुछ ट्रेडिंग कंपनियों ने विभागों से मिलकर अधिक टर्नओवर व मशीनों से संबंधित शर्तें टेंडर में लगवा दीं, जिससे चार वर्षों से फैक्ट्रियों के बजाय बिचौली फर्मों को टेंडर मिल रहे हैं। इससे आगरा का बूट उद्योग अंतिम सांसें गिन रहा है। प्रेसवार्ता में धर्मपाल, नितिन, रौनक गुप्ता, पल्लवी, निशा, देवेंद्र गुप्ता, राहुल महाजन, भारती धनवानी, रामदास आदि मौजूद रहे।
200 का जूता, 650 में बिक रहा
एसोसिएशन ने दावा किया कि आगरा में तैयार एनसीसी के जूते 200 रुपये प्रति जोड़ी में सप्लाई किए गए। बाकी फर्मों ने क्राइटेरिया लगाकर वही जोड़ी 650 रुपये में खरीदी। एक फर्म से कम रेट पर कारीगरों से सस्ते प्रोडक्ट खरीदकर, दूसरी फर्म पर अधिक बिल बनाकर जीएसटी की चोरी की जा रही है। डीजीओएस ने एक पार्टी को 1.97 लाख जोड़ी जूतों का आर्डर दिया था, यह आर्डर चार वर्ष में भी पूरा नहीं हो सका है।