Happy Republic Day 2021 Wishes: अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को इन देशभक्ति से भरें संदेश भेजकर दें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
Happy Republic Day 2021 Wishes भारत इस बार 72वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। इस खास पर्व पर आप अपने अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को देशभक्ति से भरे संदेश भेजना चाहते हैं तो आप हमारी इस खबर में से चुनाव कर सकते हैं।
नई दिल्ली, टेक डेस्क। भारत 26 जनवरी 2021 को 72वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। इस दिन हमारा संविधान लागू हुआ था। अब सोशल मीडिया पर गणतंत्र दिवस की बधाई का दौर शुरू हो गया है। अगर आप भी अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को गणतंत्र दिवस की बधाई और शुभकामना संदेश भेजना चाहते हैं, तो हम आपके लिए कुछ देशभक्ति से भरे मैसेज लेकर आए हैं।
ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गंवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये…
देशभक्तों से ही देश की शान है
देशभक्तों से ही देश का मान है
हम उस देश के फूल हैं यारों
जिस देश का नाम हिंदुस्तान है
न जिएं मजहब के नाम पर, न जान दें मजहब के नाम पर
इंसानियत ही तो है मजहब वतन का, जियो तो जियो सिर्फ वतन के नाम पर।
दुनिया में हमारी पहचान निराली है
देश बढ़ेगा आगे-आगे, यही तो सबने ठानी है
आज नए संकल्प के साथ, कुछ श्रेष्ठ करते हैं
देश के लिए जिएंगे-मरेंगे- यही आशा करते हैं
भारत के गणतंत्र का सारे जग में है मान,
दशकों से खिल रही भारत की अद्भुत शान,
सब धर्मों को देकर मान, रच गया इतिहास,
इसलिए हर देशवासियों को इसमें है विश्वास
आओ झुक कर सलाम करें अनको जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है
खुशनसीब होता है वो, जो देश के काम आता है
ना जियो घर्म के नाम पर,
ना मरों धर्म के नाम पर,
इंसानियत ही है धर्म वतन का
बस जियों वतन के नाम
ना पूछो जमाने से कि
क्या हमारी कहानी है,
हमारी पहचान तो बस
इतनी है कि हम सब हिन्दुस्तानी हैं
ये नफरत बुरी है ना पालो इसे, दिलों में नफरत है निकालो इसे,
ना तेरा, ना मेरा, ना इसका, ना उसका
ये सबका वतन है बचालो इसे।
इतनी से बात हवाओं को बताए रखना, रोशनी होगी चिरागों को जलाए रखना,
लहू देकर की है जिसकी हिफाजल हमने
ऐसे तिरंगे को हमेशा अपने दिल में बसाए रखना
इतना सुंदर जीवन दिया हमें
कई लोगों की कुर्बानी ने
फैशन ने अंधा कर दिया हमें
जोश भरी जवानी में
क्या समझेंगे हम मोल इस आजादी का
कभी सहा नहीं दर्द हमने गुलामी का