National Technology Day 2021: इस खास दिन से जुड़ी पांच वो बातें, जो आप भी नहीं जानते
National Technology Day 2021 आज यानी 11 मई 2021 को पूरे देश में नेशनल टेक्नोलॉजी डे मनाया जा रहा है। इस खास दिन की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी और उनकी अगुवाई में पोखरण में सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया गया था।
नई दिल्ली, टेक डेस्क। आज यानी 11 मई 2021 को पूरे देश में नेशनल टेक्नोलॉजी डे मनाया जा रहा है। इस खास दिन की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी और उनकी अगुवाई में पोखरण में सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया गया था। इस दिन भारतीय वैज्ञानिकों के बहूमूल्य योगदान को भी याद किया जाता है। आज हम आपको यहां नेशनल टेक्नोलॉजी डे से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताएंगे, जिनके बारे में आपको भी नहीं पता होगा। आइए जानते हैं...
National Technology Day 2021 से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें भारत के लिए आज का दिन बेहद खास है। 11 मई 1998 को भारत ने पोखरण में परमाणु बमों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड की तरफ से हर साल आज के दिन वैज्ञानिकों को उनके योगदान के लिए पुरस्कार दिया जाता है। नेशनल टेक्नोलॉजी डे 2021 नेशनल ऐरोस्पेस लैबोरेटरीज द्वारा तैयार किए गए एयरक्राफ्ट हंसा-1 के लिए जाना जाता है। 11 मई 1988 को DRDO डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन ने सतह से हवा में मार करने वाली शॉर्ट रेंज मिसाइल त्रिशूल का परीक्षण किया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान की याद में नेशनल टेक्नोलॉजी डे मनाने की घोषणा की थी।
National Technology Day 2021 के बारे में जाने विस्तार से
आपको बता दें कि पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण मई, 1974 को 'स्माइलिंग बुद्धा' के नाम से किया गया था। दूसरा परीक्षण पोखरण II था, जो मई 1998 में भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में भारत द्वारा प्रशासित परमाणु बम विस्फोट के पांच परीक्षणों की एक श्रृंखला थी। पोखरण II या ऑपरेशन शक्ति में पांच परीक्षण शामिल थे, जिनमें से पहला एक संलयन बम था जबकि अन्य चार विखंडन बम थे। 11 मई, 1998 को ऑपरेशन शक्ति या पोखरण II को दो विखंडन और एक संलयन बम के परीक्षण के साथ शुरू किया गया था।
13 मई, 1998 को दो अतिरिक्त विखंडन बम का परीक्षण किया गया और उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे जिन्होंने तत्कालीन भारत को पूर्ण परमाणु राज्य घोषित करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। ऑपरेशन का मूल नाम 'ऑपरेशन शक्ति-98' था और पांच परमाणु उपकरणों को शक्ति I से शक्ति V के रूप में वर्गीकृत किया गया था। अब, पूरे ऑपरेशन को पोखरण II के रूप में जाना जाता है. 1974 में पोखरण I का परीक्षण हुआ था।