जकरबर्ग का नया प्लान, फेसबुक बनेगा मेटावर्स; जानें कैसे बदलने वाली है आपकी दुनिया
भविष्य में फेसबुक सिर्फ एक सोशल मीडिया कंपनी नहीं रहेगी। बल्कि यह मेटावर्स कंपनी बनेगी। इसके अलावा कंपनी एम्बॉइडेट इंटरनेट पर काम करेगी। इससे असली और वर्चुअल दुनिया का जुड़ाव और भी गहरा हो जाएगा। फेसबुक के सभी 3 अरब यूजर्स पर इसका असर पड़ेगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जकरबर्ग ने हाल में अपनी कंपनी के कर्मचारियों के साथ बैठक में एक बड़ी घोषणा की। जकरबर्ग ने कहा कि भविष्य में फेसबुक सिर्फ एक सोशल मीडिया कंपनी नहीं रहेगी। बल्कि यह मेटावर्स कंपनी बनेगी। इसके अलावा कंपनी एम्बॉइडेट इंटरनेट पर काम करेगी। इससे असली और वर्चुअल दुनिया का जुड़ाव और भी गहरा हो जाएगा। फेसबुक के सभी 3 अरब यूजर्स पर इसका असर पड़ेगा। अगर आप भी फेसबुक यूजर हैं तो जान लीजिए कि क्या बदलाव होने वाले हैं।
मेटावर्स को समझने वाले और क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में सीनियर लेक्चरर निक केली कहते हैं कि इंसान ने ऑडियो स्पीकर से लेकर टेलीविजन तक कई चीजें विकसित की है। इन सारे आविष्कारों को हम अपनी इन्द्रियों से महसूस कर सकते हैं। भविष्य में इंसान छूने और गंध जैसी इंद्रियों के लिए उपकरण विकसित करेगा। इन्हीं प्रौद्योगिकियों को व्यक्त करने के लिए मेटावर्स नामक यह शब्द गढ़ा गया है। यह वर्चुअल दुनिया और भौतिक दुनिया के मेल को बताता है।
मेटावर्स शब्द का इतिहास
1992 में साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेंसन ने अपने उपन्यास स्नो केश में सबसे पहले मेटावर्स शब्द का इस्तेमाल किया था। याद रहे आधुनिक विज्ञान के कई शब्द उपन्यासों से ही आते हैं जासे रोबोट 1920 के कैरेल कापेक नाटक से आया है तो विलियम गिब्सन की एक किताब से साइबर स्पेस शब्द आया है।
विशेषज्ञों के मुताबिक शब्द "मेटावर्स" उपसर्ग "मेटा" और "वर्स" से बना है। इसका अर्थ होता है ब्रह्मांड से परे। इस शब्द का उपयोग आमतौर पर इंटरनेट के भविष्य के पुनरावृत्ति की अवधारणा का वर्णन करने के लिए किया जाता है। यह कथित आभासी ब्रह्मांड 3D से जुड़ा हुआ है।
एक आभासी दुनिया
यह साझा आभासी दुनिया को संदर्भित करता है जहां भूमि, भवन, अवतार और यहां तक कि नाम भी खरीदे और बेचे जा सकते हैं, अक्सर क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करते हुए। इन वातावरणों में, लोग दोस्तों के साथ घूम सकते हैं, इमारतों पर जा सकते हैं, सामान और सेवाएं खरीद सकते हैं और कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं।
कोरोना महामारी के दौरान मेटावर्स अवधारणा की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है क्योंकि लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम के दौरान लोगों ने व्यवसाय और मनोरंजन दोनों के लिए ऑनलाइन टूल का सहारा लिया है। वहीं मेटावर्स कार्यस्थल के टूल से लेकर गेम और सामुदायिक प्लेटफ़ॉर्म तक कई तरह की आभासी वास्तविकताओं को शामिल करता है।
मेटावर्स का भविष्य
यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तविक जीवन की पूरी तरह से नकल करने वाला एक सच्चा मेटावर्स किस हद तक संभव है या इसे विकसित होने में कितना समय लगेगा। पर ब्लॉकचैन-आधारित मेटावर्स में कई प्लेटफ़ॉर्म अभी भी संवर्धित वास्तविकता (एआर) और आभासी वास्तविकता (वीआर) तकनीक विकसित कर रहे हैं जो उपयोगकर्ताओं को स्पेस में इंट्रैक्ट होने का मौका देगा।
नए रोजगार आएंगे
फेसबुक और अन्य बड़ी कंपनियों के लिए ‘मेटावर्स’ की परिकल्पना उत्साहजनक है। इससे नए बाजारों, नए प्रकार के सोशल नेटवर्क, नए उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और नए पेटेंट के लिए अवसर पैदा होते हैं। वहीं मेटावर्स लोगों और समुदायों का जुड़ाव भी बढ़ाएगा। यह विचार भौतिक बाधाओं को पार कर नई संभावनाओं को जन्म भी देता है। वहीं इस तकनीक से समाज की समस्याओं का समाधान भी खोजना संभव है। स्मार्टफोन, 5जी, वर्चुअल करेंगी और सोशल मीडिया मिलकर काफी अच्छे परिणाम दे सकते हैं।