Drone Rule से लेकर PLI स्कीम तक, जानिए कैसे भारत को होने जा रहा है बड़ा फायदा

सरकार की माने तो केवल ऑटो इंडस्ट्री में 7.5 लाख नयी नौकरियों की अपेक्षा है। यह बात तो तय है की इस स्कीम से MSME को मदद मिलेगी और FDI लाने में भी सहायता मिलेगी जिससे नयी नौकरियां में बढ़ौतरी आनी चाहिए।

By Saurabh VermaEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 09:38 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 09:38 AM (IST)
Drone Rule से लेकर PLI स्कीम तक, जानिए कैसे भारत को होने जा रहा है बड़ा फायदा
यह ड्रोन की प्रतीकात्मक फाइल फोटो है।

नई दिल्ली, सौरभ वर्मा। भारत सरकार की तरफ बड़े ही सुनियोजित ढंग से ड्रोन इंडस्ट्री को विकसित करने की दिशा में काम किया जा रहा है। जिसका फायदा देश को आने वाले दिनों मिलेगा। बता दें कि केंद्र सरकार की तरफ से हाल ही में नये Drone Rule 2021 को लागू किया गया है। वहीं अब सरकार की तरफ से ड्रोन इंडस्ट्री के लिए PLI स्कीम का ऐलान किया है। इस बारे में जागरण ने इंडस्ट्री एक्सपर्ट से बातचीत की। द डायलॉग के सीनियर एसोसिएट आयुष त्रिपाठी की मानें, तो सरकार की ड्रोन पीएलआई स्कीम इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माण के क्षेत्र में काफी कारगर साबित हो सकती है। इस स्कीम और Drone Rules 2021 की मदद से ड्रोन एवं उसके कॉम्पोनेन्ट को बनाने की लागत में गिरावट होगी। और बड़े पैमाने पर इसका निर्माण होगा, जिससे इसका भारी मात्रा में निर्यात भी किया जा सके। इस बात पर ध्यान देना भी जरूरी है कि पीएलआई स्कीम का कॉम्पोनेन्ट मैन्युफैक्चरिंग पर भी लागू होना एक बेहद जरुरी निर्णय है, जिससे MSME एवं स्टार्टअप्स को काफी लाभ मिलने की संभावना है।

आयुष त्रिपाठी ने बताया कि ऑटो इंडस्ट्री के लिए दोबारा पीएलआई स्कीम लायी गयी है लेकिन इस बार इसका केंद्र इलेक्ट्रिक व्हीकल के निर्माण पर है। पीएलआई स्कीम पहले भी इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग जैसे मोबाइल फोन आदि एवं टेलीकॉम और फार्मा में लागू हुई थी और इनके निर्माताओं के लिए मददगार साबित हुई थी। इस स्कीम की मदद से छोटे पुर्जा निर्माता भी बड़े पैमाने पर भी मैन्युफैक्चरिंग कर सकते है एवं नए विनर्मताओं को भी यह स्कीम सहायता करेगी। उम्मीद है की इससे काफी भारी संख्या में नौकरियों की वृद्धि होगी और अगर सरकार की माने तो केवल ऑटो इंडस्ट्री में 7.5 लाख नयी नौकरियों की अपेक्षा है। यह  बात  तो  तय  है  की  इस  स्कीम से MSME को मदद मिलेगी और FDI लाने में भी सहायता मिलेगी जिससे नयी नौकरियां में बढ़ौतरी आनी चाहिए। यह भारत का “ग्लोबल चैंपियन” बनने का मकसद पूरा करने की दिशा में एक और कदम साबित होगा। पीएलआई स्कीम के अलावा टेलीकॉम में भी एजीआर की परिभाषा को बदलने की बात की गयी है जिससे इस सेक्टर में सकारात्मक सुधर देखे जा सकते है। 

इंटीग्रेशन विजार्ड्स सॉल्यूशंस के सीईओ कुणाल किसलय के मुातबिक सरकार ने ऑटो कॉम्पोनेंट और ड्रोन इंडस्ट्री के लिए एक प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम को मंजूरी दे दी है। भारत की विनिर्माण क्षमताओं को मजबूती देने के लक्ष्य के साथ सरकार ने इस स्कीम को अपनी स्वीकृति दी है। जहां तक ड्रोन इकोसिस्टम की बात है तो पूर्व में नोटिफाई किए गए उदार ड्रोन नियम से हम आने वाले समय बेहतरी की ही उम्मीद कर सकते हैं। यह ड्रोन इंडस्ट्री के लिए अच्छा साबित हुआ है। अगले पांच वर्ष में खर्च किए जाने वाले कुल 26,058 करोड़ रुपये में से 120 करोड़ रुपये इंडस्ट्री को मिले हैं। एक प्रभावी पहल से ड्रोन इंडस्ट्री के लिए वास्तविक नियम-शर्तों को तय करने में मदद मिली है। ड्रोन और उसके कॉम्पेनेंट का विनिर्माण करने के लिए न्यूनतम टर्नओवर क्रमशः दो करोड़ रुपये और 0.5 करोड़ रुपये होना चाहिए। वहीं भारत के गैर-एमएसएमई प्रोड्यूसर्स के लिए यह सीमा चार करोड़ रुपये और कॉम्पोनेंट बनाने वाले के लिए एक करोड़ रुपये तय की गई है।  

कुणाल किसलय के मुताबिक नवोदित ड्रोन सेक्टर को भारत को ड्रोन इकोसिस्टम में दुनिया की अग्रणी प्लेयर बनाने को लेकर अपनी संभावनाएं तलाशनी है। ये स्टार्टअप और एमएसएमई जैसे संबंधित पक्षों को नवाचार के लिए प्रेरित करने के आकर्षक कदम हैं। विभिन्न सेक्टर्स में ड्रोन टेक एप्लीकेशन की संभावनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह क्षेत्र प्रयोग, शोध और विकास के लिए खुला हुआ है। ड्रोन इंडस्ट्री की सफलता से परिवहन और सेवा, रिटेल, वेयरहाउसिंग, ई-कॉमर्स, एग्रीटेक और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर्स का भार कम हो जाएगा। सरकार ऑटोमोबाइल, ऑटो कॉम्पोनेंट और ड्रोन इंडस्ट्री में 7.6 लाख लोगों के रोजगार के अवसर की उम्मीद कर रही है।  अन्य उद्योगों के लिए घोषित स्कीम के तहत निवेश की मात्रा समय के साथ कम होगी लेकिन ड्रोन इंडस्ट्री को समान दर से सरकार की ओर से समर्थन दिया जाना जारी रहेगा। मंत्रालय भारत और ड्रोन टेक्नोलॉजी के विकास में लगे यहां के लोगों में मौजूद संभावनाओं को समझता है। इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनियों को निश्चित रूप से सरकार के शुरुआत से चले आ रहे हस्तक्षेप से फायदा होगा।

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