Facebook खोदकर ढूढ़ निकालेगा फर्जी इमेज, वीडियो और ऑडियो, आ रहा नया AI सॉफ्टवेयर, जानिए कैसे करेगा काम

डीप फेक इमेज वीडियो और ऑडियो पूरी तरह से फेक होता है। इसे AI बेस्ड सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया जाता है। इन फोटो और वीडियो में शरीर किसी और का और चेहरा किसी और का होता है। हाल ही में ऐसे कई वीडियो इंटरनेट पर आये हैं।

By Saurabh VermaEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 07:56 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 07:56 AM (IST)
Facebook खोदकर ढूढ़ निकालेगा फर्जी इमेज, वीडियो और ऑडियो, आ रहा नया AI सॉफ्टवेयर, जानिए कैसे करेगा काम
यह Facebook की प्रतीकात्मक फाइल फोटो है।

नई दिल्ली, टेक डेस्क। Facebook नया AI सॉफ्टवेयर ला रहा है, जो Facebook की फर्जी इमेज, वीडियो और ऑडियो क्लिक को ढ़ूढ़ कर खोद निकालेगा। साथ ही इन तरह के फर्जी फोटो, वीडियो और ऑडियो को बनाने और फैलाने वाले व्यक्ति की पहचान की जा सकेगी, जो फेक न्यूज को रोकने की दिशा में कारगर कदम साबित हो सकता है। दरअसल इन दिनों डीपफेक का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है, जिसे पहचानना काफी मुश्किल हो गया है। 

क्या होती है डीपफेक इमेज

डीप फेक इमेज, वीडियो और ऑडियो पूरी तरह से फेक होता है। इसे AI बेस्ड सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया जाता है। इन फोटो और वीडियो में शरीर किसी और का और चेहरा किसी और का होता है। हाल ही में एक ऐसा वीडियो इंटरनेट पर आया था, जिसमें बराक ओबामा को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को अपशब्द कहते हुए दिखाया गया था। हकीकत में ओबामा ने ऐसा कुछ कहा ही नहीं था, बल्कि यह डीपफेक वीडिया था, जिसे इतनी सफाई से बनाया गया था, कोई भी धोखा खा जाए।

Facebook ला रहा नया सॉफ्टवेयर 

डीपफेक जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए Facebook नया AI सॉफ्टवेयर लेकर आ रहा है। Facebook रिसर्च साइंटिस्ट Tal Hassner और Xi Yin ने कहा कि उनकी टीम Michigan State University के साथ मिलकर एक नया सॉफ्टवेयर लेकर आ रही है, जो डीपफेक इमेज, वीडियो और ऑडियो का पता लगा सकेगा। साथ ही ढ़ूढ़ निकालेगा कि आखिर डीपफेक इमेज का ओरिजिन क्या है। साइंसटिस्ट ने अपने ब्लॉग पोस्ट में कहा कि नया AI सॉफ्टवेयर डीपपेक और रियर वर्ल्ड में ट्रैंसिंग की सुविधा प्रदान करेगा। इससे रिसर्चर और प्रैक्टिशनर को फेक न्यूज को पहचानने में मदद मिलेगी। साथ ही भविष्य इस दिशा में रिसर्च के रास्ते खुलेंगे।

ऐसे हो सकेगी पहचान 

Facebook का नया सॉफ्टवरयेर डीप फेक इमेज को एक नेटवर्क की तरह काम करेगा। जहां मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस के डिजिटल फिंगरप्रिंट की पहचान की जाएगी। डिजिटल फोटोग्राफी में फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल डिजिटल कैमरे की पहचान के लिए किया जाता है। अगर अगल-अलग कैमरे से क्लिक की गई फोटो को जोड़कर कोई नई फोटो या वीडियो को बनाया गया है, तो ऐसी इमेज की पहचान की जा किया जा सकेगा। पिछले साल माइक्रोसॉफ्ट ने एक सॉफ्टवेयर पेश किया था, जो डीपफेक फोटो, वीडियो और ऑडियो को पहचाने में मदद करता था। कंपनी वीडियो अथेंटिकेटर सॉफ्टवेयर एक इमेज के हर फ्रेम को एनालाइज्ड कर सकेगा।

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