Chandrayaan 2 Recap: 22 जुलाई से लेकर 21 सितंबर तक, ऐसा रहा सफर
Chandrayaan 2 को 22 जुलाई को लॉन्च किया गया था और ये 7 सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था लेकिन आखिरी समय में इसका संपर्क टूट गया..
नई दिल्ली, टेक डेस्क। Chandrayaan 2 भारत के लिए ही नहीं दुनिया भर के लिए एक अहम स्पेस मिशन माना जा रहा था। 7 सितंबर को इस स्पेसक्राफ्ट को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना था, लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग से महज 2.1 किलोमीटर दूर ISRO का संपर्क विक्रम लैंडर से टूट गया, जिसके बाद से इस स्पेस मिशन के सफल होने की उम्मीदें भी धीरे-धीरे खत्म होने लगी। हालांकि, यह मून मिशन 98 फीसद तक सफल रहा है, जिसमें 22 जुलाई को इसके लॉन्चिंग के बाद से चांद की सतह के करीब तक पहुंचने में यह कामयाब रहा है। सॉफ्ट लैंडिंग को छोड़ दिया जाए तो अपने हर पड़ाव को Chandrayaan 2 ने सफलतापूर्वक पार किया।
विक्रम लैंडर के साथ संपर्क टूटने के बाद भी ISRO के वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी और 21 सितंबर तक इससे संपर्क साधने की कोशिश की जाती रही। ISRO के अलावा NASA ने भी विक्रम लैंडर के साथ संपर्क साधने की पूरी कोशिश की, लेकिन आखिरकार वह भी नाकाम रहा। कल यानी 21 सितंबर को ISRO ने बयान जारी करके कहा कि विक्रम लैंडर से अब संपर्क की सारी उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं।
#Chandrayaan2 Orbiter continues to perform scheduled science experiments to complete satisfaction. More details on https://t.co/Tr9Gx4RUHQ" rel="nofollow Meanwhile, the National committee of academicians and ISRO experts is analysing the cause of communication loss with #VikramLander
चांद पर अब लूनर सनसेट यानी अंधेरा छाने वाला है, ऐसे में विक्रम लैंडर से संपर्क करना मुश्किल है। प्रज्ञान रोवर की भी 14 दिनों के बैटरी बैकअप के साथ भेजा गया था। 14 दिनों के बाद अब इसकी बैटरी भी डिस्चार्ज हो जाएगी। लूनर सनसेट होने की वजह से बैटरी चार्ज नहीं हो पाएगी, जिसकी वजह से अब संपर्क साधना लगभग नामुमकिन हो गया है।
Chandrayaan 2 के अब तक के सफर की बात करें तो यह मून मिशन भारत के लिए काफी अहम था, क्योंकि भारत अब अगले मून मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजने की तैयारी कर रहा है। ऐसे में इस मून मिशन के जरिए चंद्रमा के इस अनछुए दक्षिणी ध्रुव के बारे में जानकारी इकट्ठा की जा सकती थी, जिसके आधार पर ISRO को अगले मिशन में मदद मिलती।
Chandrayaan 2 तीन भागों में बंटा है, जिसमें ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल है। ऑर्बिटर अभी भी चांद की कक्षा में चक्कर लगा रहा है और ISRO उसके जरिए चांद की सतह पर होने वाली गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। ऑर्बिटर की मदद से ही विक्रम लैंडर का पता लगाया गया था, हालांकि संपर्क स्थापित करने में यह असफल रहा।
Chandrayaan 2 का अब तक का सफर
22 जुलाई 2019- आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस रिसर्च सेंटर से लॉन्च
24 जुलाई 2019- शाम के 3 बजकर 30 मिनट पर स्पेस शटल ने धरती की पहली कक्षा में प्रवेश
26 जुलाई 2019- 1 से 2 बजे के बीच में पृथ्वी की दूसरी कक्षा में प्रवेश
29 जुलाई 2019- शाम के करीब 2 बजकर 30 मिनट पर धरती की तीसरी कक्षा में प्रवेश
2 अगस्त 2019- दोपहर करीब 2 से 3 बजे के बीच चौथी कक्षा में प्रवेश
6 अगस्त 2019- दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर पृथ्वी की आखिरी कक्षा में प्रवेश
14 अगस्त 2019- दिन के 2 बजे से 3 बजे की बीच में पृथ्वी की कक्षा से बाहर, धरती के पांचों कक्षा को पार करने में 25 दिनों का लगा समय, तय किया 1,43,585 किलोमीटर का सफर
20 अगस्त 2019- चांद की कक्षा में प्रवेश, 28 दिनों का सफर पूरा
21 अगस्त 2019- 12 बजकर 30 मिनट पर चंद्रमा की पहली कक्षा में प्रवेश
28 अगस्त 2019- सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर चंद्रमा की दूसरी कक्षा में प्रवेश
30 अगस्त 2019- शाम 6 बजे के करीब चांद की तीसरी कक्षा में प्रवेश
1 सितंबर 2019- दिन के 1 बजकर 30 मिनट पर चांद की आखिरी और चौथी कक्षा में प्रवेश
2 सितंबर 2019- दिन के 1 बजकर 15 मिनट पर ऑर्बिटर से अलग हुआ विक्रम लैंडर
7 सितंबर 2019- रात के 1 बजकर 52 मिनट पर विक्रम लैंडर से संपर्क टूटा