COVID 19 के लिए इस्तेमाल होने वाले N95 मास्क की क्या है फिल्टरेशन टेक्नोलॉजी?

N95 मास्क में खास तरह के फिल्टरेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है जो कि COVID 19 के वायरस को भी फिल्टर कर सकता है।

By Harshit HarshEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 07:17 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 07:17 PM (IST)
COVID 19 के लिए इस्तेमाल होने वाले N95 मास्क की क्या है फिल्टरेशन टेक्नोलॉजी?
COVID 19 के लिए इस्तेमाल होने वाले N95 मास्क की क्या है फिल्टरेशन टेक्नोलॉजी?

हर्षित हर्ष। इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक कोरोनावायरस नामक महामारी से पूरा विश्व त्रस्त है। इस महामारी की वजह से दुनियाभर के करोड़ों लोग संक्रमित हुए हैं। इनमें से कई हजार लोगों की मौत हुई हैं। भारत, अमेरिका, ब्राजील, रुस, इटली, समेत बड़े देश इस महामारी से बुरी तरह प्रभावित हैं। भारत में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 8.5 लाख से ऊपर पहुंच गया है। कोरोनावायरस महामारी की वजह से घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है। मास्क की अनिवार्यता को देखते हुए शुरुआत में इसकी डिमांड इतनी बढ़ गई कि स्टोर्स में मास्क उपलब्ध नहीं थे।

मास्क की पूर्ति के लिए कई टेक्नोलॉजी कंपनियों यहां तक की स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों ने भी मास्क बनाने का ऐलान किया है। साथ ही, लोगों ने होममेड मास्क (घर में कपड़े से बने हुए मास्क) का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। ज्याादातर लोग होममेड या कपड़े से बने मास्क का इस्तेमाल करने लगे हैं। इसका कारण यह है कि इन मास्क को दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन डॉक्टरों की मानें तो N95 मास्क के जरिए ही कोरोनावायरस को फैलने से रोका जा सकता है। N95 मास्क में खास तरह के फिल्टरेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है जो कि COVID 19 के वायरस को भी फिल्टर कर सकता है।

ओकिनावा इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ग्रेजुएट यूनिवर्सिटी में सबमिट किए गए एक रिसर्च पेपर में N95 में इस्तेमाल होने वाली टेक्नोलॉजी के बारे में बताया गया है। आम फेस मास्क एक ट्रिपल लेयर फिल्टरेशन प्रिंसिपल पर काम करता है। फेस मास्क में इस्तेमाल होने वाली फिल्टरेशन प्रिंसिपल में कपड़ों के लेयर में दिए गए छेद इतने छोटे होते हैं कि लोगों को सांस लेने में दिक्कत आ सकती है। N95 मास्क तीन तरह के प्रिंसिपल पर काम करता है।

इनर्शियल इंपेक्शन- एयरोसोल या डस्ट पार्टिकल की साइज 1 माइक्रोन या इससे ज्यादा होती है, जिसमें पर्याप्त जड़त्व (Inertia) होती है। मास्क मैटेरियल पर ये पार्टिकल जब पड़ते हैं तो इसके फिल्टरेशन लेयर की मदद से वो फिल्टर हो जाते हैं।

डिफ्यूजन- इस प्रिंसिपल को मुख्य तौर पर उन पार्टिकल्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिनकी साइज 0.1 माइक्रोन से ज्यादा और 1 माइक्रोन से कम होती हैं। इस प्रिंसिपल के जरिए वो पार्टिकल्स भी फिल्टर हो जाते हैं जिनकी इनर्शिया (जड़त्व) कम होती हैं।

इलेक्ट्रोस्टेटिक अट्रेक्शन- इस प्रिंसिपल मैकेनिज्म के जरिए इलेक्ट्रोचार्ज्ड पॉलिमर या रेसिन फाइबर्स छोटे और बड़े पार्टिकल्स को विपरीत चार्ज्ड करके ट्रैप कर लेते हैं। जिसके बाद हमें स्वच्छ हवा फिल्टर होकर मिलती है।

इन तीनों प्रिंसिपल के आधार पर ही मास्क बनाने वाली कंपनियां अपने N95 मास्क को डिजाइन करती है। इस मास्क में हवा को फिल्टर करने की पर्याप्त क्षमता होती है, जिसकी वजह से इस मास्क को रेकोमेंड किया जाता है। 

भारतीय टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी Vextron ने भी पिछले दिनों अपने N95 मास्क को लॉन्च किया है। इस मास्क में भी इन्हीं प्रिंसिपल का इस्तेमाल किया गया है। हम इस मास्क को पिछले कुछ दिनों से इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें जो सबसे अच्छी बात हमें लगी वो ये कि यह 5 लेयर प्रोटेक्शन के साथ आता है। इसमें पहला लेयर नॉन वुवन फैब्रिक का होता है। दूसरा लेयर मेल्ट ब्लोन फैब्रिक का दिया गया है। इसके बाद तीसरा लेयर हॉट एयर फिल्टर कॉटन का दिया गया है। फिर से इसमें चौथा लेयर मेल्ट ब्लोन फैब्रिक का दिया गया है। पांचवा और आखिरी लेयर इसमें सॉफ्ट नॉन वुवन फैब्रिक का दिया गया है।

यह N95 मास्क FDA सर्टिफाइड है और CE द्वारा अप्रूव्ड है। कंपनी के दावे के मुताबिक, ये 99.5 फीसद तक की फिल्टरेशन इफिशिएंसी पर काम करता है। यह मास्क 0.3 माइक्रोन के डायमीटर वाले पार्टिकल को भी फिल्टर कर सकता है। साथ ही, ये एलर्जेन्ट वायरस, बैक्टिरिया, डस्ट, ड्रॉपलेट्स और अन्य हानिकारक ऑयस बेस्ड पार्टिकल्स को फिल्टर कर सकता है। इसके स्ट्राइप भी काफी कम्फर्टेबल हैं और इसमें एडजस्टेबल मेटल बैंड दिया गया है। इसकी कीमत 299 रुपये है।

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