दिल्ली के वातावरण के लिए नई टेक्नोलॉजी वाले Air Purifiers क्यों है जरूरी? इन प्वाइंट्स में समझें

दिल्ली जैसे दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर में लोगों को अपने घरों में Air Purifier लगाना अनिवार्य हो गया है। एयर प्यूरीफायर लेने से पहले किन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है?

By Harshit HarshEdited By: Publish:Fri, 13 Dec 2019 03:51 PM (IST) Updated:Fri, 13 Dec 2019 03:52 PM (IST)
दिल्ली के वातावरण के लिए नई टेक्नोलॉजी वाले Air Purifiers क्यों है जरूरी? इन प्वाइंट्स में समझें
दिल्ली के वातावरण के लिए नई टेक्नोलॉजी वाले Air Purifiers क्यों है जरूरी? इन प्वाइंट्स में समझें

नई दिल्ली, टेक डेस्क। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय पूरी दुनिया में 10 में से 9 लोग प्रदुषित हवा में सांस ले रहे हैं। वहीं, वायु प्रदूषण की वजह से 4.2 मिलियन लोगों की समय से पहले ही मृत्यु हो रही है। यही नहीं, प्रदूषित हवा में सांस लेने की वजह से लोगों को कई तरह की हृदय संबंधित बीमारियों हो रही हैं। सांस लेने की तकलीफ, अस्थमा, लंग कैंसर जैसी कई तरह की श्वांस संबंधित बीमारियां लोगों को हो रही है। ऐसे में दिल्ली जैसे दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर में लोगों को अपने घरों में Air Purifier लगाना अनिवार्य हो गया है। दिल्ली का प्रदूषण लेवल इतना खतरनाक है कि बिना मास्क के निकलना लोगों के लिए खतरनाक हो रहा है।

इस साल नवंबर में दिल्ली का प्रदूषण लेवल अलार्मिंग स्तर पर पहुंच गया था। दिल्ली ही नहीं, इसके आस-पास के शहरों में प्रदूषण लेवल इस कदर बढ़ गया था कि लोगों को खुली हवा में सांस लेना दूभर हो गया था। अगर, हम प्रदूषण के मानक स्तर की बात करें तो 50 से ज्यादा लेवल का प्रदूषण स्वास्थ के लिए हानिकारक होता है। दिल्ली में ये स्तर 1000 के लेवल तक पहुंच जाता है। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि Air Purifier क्यों जरूरी है? दिल्ली ही नहीं देश के अन्य शहरों में भी ये लेवल 300 के आस-पास तक पहुंच जाता है, जो कि खतरनाक है।

पिछले कुछ सालों में नई तकनीक वाले Air Purifier बाजार में आए हैं, जो हमें हवा में मौजूद धूल कणों से होने वाली एलर्जी से बचाता है। इन Air Purifier से आप अस्थमा जैसी गंभीर सांस संबंधी बीमारियों से बच सकते हैं। नई टेक्नोलॉजी वाले Air Purifier में मैक्रोस्कोपिक प्लास्टिक, डस्ट, पॉलेन, एलर्जीन्स जैसे खतरनाक कणों को रोका जा सकता है।

इन बिंदुओं से समझें कि वायू प्रदुषण को किस तरह रोका जाए

घरों के अंदर इंडोर गार्डेन लगाना- हम जानते हैं कि पौधें कई तरह की हानिकारक गैसों जैसे कि बेंजीन, फॉर्मल्डिहाइड, ट्राइक्लोरोइथेन आदि को सोख कर ऑक्सीजन छोड़ते हैं और वातावरण के हवाओं को प्रदूषम मुक्त करते हैं, ताकि खुली हवा में सांस लिया जा सकेगा। ट्रेवलिंग के लिए पब्लिक टांसपोर्ट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। पब्लिक ट्रांसपोर्ट के इस्तेमाल से शहर में चलने वाली कारों की संख्या कम हो जाएगी और प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकता है। फॉरेस्ट कवर- घरों के आस-पाश ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने से भी प्रदूषण पर निंयत्रण किया जा सकता है। खुली हवा में कचरे नहीं जलाना चाहिए- ऐसा करने से आस-पास के वातावरण पर इसका विषण प्रभाव पड़ता है और सांस लेने में परेशानी हो सकती है। इलेक्ट्रिक अप्लायंस जैसे की रेफ्रिजरेटर्स, एयर कंडीशन आदि भारी मात्रा में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं। इसलिए, कम से कम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम किया जा सके।

एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करते समय ये ध्यान में रखें कि वे मल्टी स्टेज फिल्टरेशन सिस्टम पर काम कर रहा हो। किसी भी एयरप्यूरीफायर को अपने घरों और गाड़ियों में लगाने से पहले ये ध्यान रखें कि वो मल्टी स्टेज फिल्टरेशन टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा हो। इसका फायदा ये होता है कि हवा में मौजूद प्रदूषित कणों को 99.97 फीसद तक फिल्टर किया जा सकता है। खास तौर पर माइक्रो पार्टिकल्स PM 2.5 और PM 10 बिना मल्टी फिल्टरेशन वाले Air Purifier में फिल्टर नहीं हो पाते है। नई टेक्नोलॉजी HEPA वाले H1N1 फिल्टर से इन सभी प्रदूषित कणों को फिल्टर किया जा सकता है।

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