WhatsApp-Facebook यूजर्स के लिए फेक न्यूज से ज्यादा खतरनाक हैं Deepfake Videos

Deepfake वीडियोज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर ओरिजनल वीडियोज को ऐसे बदला जाता है कि लोग यह पहचान ही नहीं पाते कि यह फेक है या रियल। फोटो साभार WhatsApp-Facebook

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 21 Feb 2020 04:49 PM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 04:49 PM (IST)
WhatsApp-Facebook यूजर्स के लिए फेक न्यूज से ज्यादा खतरनाक हैं Deepfake Videos
WhatsApp-Facebook यूजर्स के लिए फेक न्यूज से ज्यादा खतरनाक हैं Deepfake Videos

नई दिल्ली, टेक डेस्क। WhatsApp और Facebook पर शेयर या क्रिएट की जाने वाली फेक न्यूजों को लेकर कंपनी ने कई तरह के कड़े कदम उठाए हैं। लेकिन फिर भी लोग ऐसे तरीके ढूंढ ही लेते हैं जिससे वो गलत जानकारी फैला सकें। जहां एक तरफ लोग धीरे-धीरे भारत में गलत समाचारों से निपटने का तरीका सीख रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ Deepfake वीडियोज लोगों के लिए एक नई मुसीबत बनकर सामने आई है। इस तरह की वीडियोज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर ओरिजनल वीडियोज को ऐसे बदला जाता है कि लोग यह पहचान ही नहीं पाते कि यह फेक है या रियल।

जानें क्या है Deepfake वीडियो: इस तरह की वीडियोज को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर बनाया जाता है। इससे फेक वीडियोज को ओरिजनल दिखाया जाता है और उन्हें पहचानना बेहद मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के तौर पर: इस तरह की तकनीकों का इस्तेमाल कर किसी भी व्यक्ति की शक्ल को बदला जा सकता है जिसे पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। आजकल इस तरह की वीडियो WhatsApp और Facebook पर काफी वायरल हो रही हैं।

इन बातों का रखें ख्याल:

Deepfake वीडियोज फेक न्यूज से काफी ज्यादा प्रभावशाली मानी जा रही हैं। इनके झांसे में लोग आसानी से आ जाते हैं। दरअसल, WhatsApp और Facebook पर जो वीडियोज भेजी जाती हैं उनका रेजोल्यूशन कम हो जाता है। ऐसे में इन वीडियोज को पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। टेक्स्ट को तो पढ़कर फिर भी कोई फेक न्यूज की तह तक पहुंच सकता है। लेकिन इन वीडियोज को लोग सही मान लेते हैं। ऐसे में आपको सावधान रहने की जरुरत है। Deepfake वीडियो तकनीक का इस्तेमाल कर वीडियो को इस तरह से मोड़ दिया जाता है कि वीडियो में व्यक्ति क्या कह रहा है इसे पहचान पाना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, वास्तविकता की बात करें तो वो व्यक्ति कह कुछ और रहा होता है और वीडियो में कुछ और दिखाया जाता है। ऐसे में इन वीडियो क्लिप्स को एक बार देखकर इन्हें पहचान पाना मुश्किल होता है। टारगेटेड विज्ञापन के जरिए किसी व्यक्ति को ऐसी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है जिसे वो ढूंढ रहा हो। अगर सोशल मीडिया पर टारगेटेड विज्ञापनों का इस्तेमाल कर Deepfake वीडियो फैलाए जाते हैं तो आम जनता इसमें आसानी से फंस सकती है। इस तरह की वीडियोज को इस्तेमाल कर स्टॉकर, विक्टिम्स के साथ हेरफेर करने में कामयाब हो सकते हैं जिसका असर विक्टिम्स पर काफी खराब पड़ सकता है।
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