Swami Vivekananda Death Anniversary: स्वामी विवेकानंद के प्रेरक विचारों में छिपे सफलता के सूत्र
Swami Vivekananda Death Anniversary विवेकानंद ने सम्मपूर्ण विश्व को आध्यात्म दर्शन और विज्ञान के समन्वय का ऐसा मार्ग दिखाया जो सदियों तक मानव सभ्यता का पथ प्रदर्शन करता रहेगा। आज 04 जुलाई को विवेकानंद की पुण्यतिथि पर हम उनके प्रेरक विचारों से प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं...
Swami Vivekananda Death Anniversary: जब हम भारत की परिकल्पना विश्व गुरू के रूप में करते हैं तो जो छवि हमारे मस्तिष्क में उभरती है वो कहीं न कहीं विवेकानंद का रूप ले लेती है। विवेकानंद की गणना केवल भारत की ही नहीं बल्कि विश्व के महनतम् लोगों में होती है। विवेकानंद सही अर्थों में भारतीय मूल्यों के सच्चे प्रतिनिधि थे। एक ओर तो वो भारतीय दर्शन, वेदांत के प्रखर ज्ञाता थे तो दूसरी ओर आधुनिकता के प्रबल समर्थक भी। विवेकानंद ने सम्मपूर्ण विश्व को आध्यात्म, दर्शन और विज्ञान के समन्वय का ऐसा मार्ग दिखाया जो सदियों तक मानव सभ्यता का पथ प्रदर्शन करता रहेगा। आज, 04 जुलाई को विवेकानंद की पुण्यतिथि पर हम उनके प्रेरक विचारों से अपने जीवन के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं...
विवेकानंद ने अपने विचारों से हमें जीवन का वास्तविक अर्थ सिखाया है। उनके विचारों में हम जीवन की हर समस्या का हल पाते हैं। उनका कहना था कि जीवन में सफलता पाने का केवल एक ही मंत्र है...
उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए
जीवन में जब भी हम कोई नई चुनौती या लक्ष्य चुनते हैं तो कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। विवेकानंद उसकी अवस्थाओं को हमारी सफलता की सीढ़ी बताते हैं। उनका कहना है कि...
हर काम को तीन अवस्थाओं से गुज़रना होता है – उपहास, विरोध और स्वीकृति।
विवेकानंद ने अपने अनुभवों के आधार पर हमें बताया कि संगठन की शक्ति क्या है...
अनेक देशों में भ्रमण करने के पश्चात् मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि संगठन के बिना संसार में कोई भी महान एवं स्थाई कार्य नहीं किया जा सकता।
विवेकानंद ने हमारे जीवन में हर पग पर आने वाले अच्छे और बुरे मार्ग के दोराहों का सही हल बताते हुए कहा...
यह मत भूलो कि बुरे विचार और बुरे कार्य तुम्हें पतन की और ले जाते हैं । इसी तरह अच्छे कर्म व अच्छे विचार लाखों देवदूतों की तरह अनंतकाल तक तुम्हारी रक्षा के लिए तत्पर हैं ।
विवेकानंद ने मानव को उसकी असीम क्षमता और सामर्थ्य का एहसास दिलाते हुए कहा है कि..
संभव की सीमा जानने का एक ही तरीका है, असंभव से भी आगे निकल जाना।
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