Lord Shiva Father: भगवान शिव के माता-पिता कौन हैं? ब्रह्मा, विष्णु और महेश को किसने जन्म दिया?

Lord Shiva Father देवों के देव महादेव भोलेनाथ शिव शंकर नीलकंठ महाकाल जैसे नामों से अलंकृत होने वाले भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ है? उनके माता और पिता कौन हैं? ब्रह्मा विष्णु और महेश को किसने जन्मा है? यह सवाल कई लोगों के मन में उठता है।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 10:30 AM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 09:54 AM (IST)
Lord Shiva Father: भगवान शिव के माता-पिता कौन हैं? ब्रह्मा, विष्णु और महेश को किसने जन्म दिया?
भगवान शिव के माता-पिता कौन हैं? ब्रह्मा, विष्णु और महेश को किसने जन्म दिया?

Lord Shiva Father: देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शिव शंकर, नीलकंठ, महाकाल जैसे नामों से अलंकृत होने वाले भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ है? उनके माता और पिता कौन हैं? ब्रह्मा, विष्णु और महेश को किसने जन्मा है? यह सवाल कई लोगों के मन में उठता है। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको इन्हीं सवालों के जवाब दे रहे हैं। आइए पढ़ते हैं इसके बारे में।

कौन हैं भगवान शिव के माता-पिता?

देवी महापुराण के अनुसार, इस ग्रंथ में भगवान शिव की उत्पत्ति को लेकर एक कथा है। एक बार देवर्षि नारद ने अपने पिता ब्रह्मा जी से पूछा कि इस संसार का सृजन किसने किया है? आपका, भगवान विष्णु तथा भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ है? आपके माता ​और पिता कौन हैं? नारद जी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए ब्रह्मा जी ने तब त्रिदेवों के जन्म की कथा सुनाई। उन्होंने बताया ​कि भगवान सदाशिव आदि ब्रह्म हैं। वह ईश्वर हैं। परम ब्रह्म सदाशिव ने अपने शरीर से आदिशक्ति का सृजन किया। देवी आदिशक्ति ही पार्वती हैं। वह प्रकृति हैं, महामाया हैं, बुद्धित्व और विवेक की जननी तथा विकार रहित हैं। भगवान सदाशिव तथा आदिशक्ति के योग से ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश की उत्पत्ति हुई। प्रकृति रुपी आदिशक्ति दुर्गा ही माता हैं और परम ब्रह्म सदाशिव पिता हैं।

जब ब्रह्म देव तथा विष्णु जी में हुआ झगड़ा

कथाओं के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी तथा विष्णु भगवान में इस बात को लेकर झगड़ा होने लगा कि वे एक दूसरे के पिता हैं। ब्रह्मा जी कहते कि सृष्टि की रचना उन्होंने किया है तथा विष्णु जी कहते कि तुम मेरी नाभि से ​​निकले हो। तभी परम ब्रह्म सदाशिव उन दोनों के मध्य प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि तुम मेरे पुत्र हो। एक को जगत की उत्पत्ति तथा दूसरे को पालन का कार्य सौंपा है। शंकर और रुद्र संहारक हैं। ओम मेरा मूल मंत्र है।

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