Pradosh Vrat of Sawan: जानिए, कब है सावन का आखिरी प्रदोष व्रत और पूजन का विशेष मुहूर्त

Pradosh Vrat of Sawan सावन के शुक्ल पक्ष का या दूसरा प्रदोष का व्रत 20 अगस्त दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। इस प्रदोष पर विशेष योग का निर्माण हो रहा है। आइए जानते हैं सावन के दूसरे प्रदोष व्रत की तिथिमुहूर्त और विशेष योग के बारे में...

By Jeetesh KumarEdited By: Publish:Mon, 16 Aug 2021 06:58 PM (IST) Updated:Tue, 17 Aug 2021 02:25 PM (IST)
Pradosh Vrat of Sawan: जानिए, कब है सावन का आखिरी प्रदोष व्रत और पूजन का विशेष मुहूर्त
जानिए, कब है सावन का आखिरी प्रदोष व्रत और पूजन का विशेष मुहूर्त

Pradosh Vrat of Sawan: हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार प्रदोष का व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष का व्रत हिंदी माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। सावन के प्रदोष व्रत का महत्व और बढ़ जाता है क्योकिं सावन का महीना भगवान शिव को विशेष रूप से प्रिय है। सावन के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत तो 5 अगस्त को रखा गया था। सावन के शुक्ल पक्ष का या दूसरा प्रदोष का व्रत 20 अगस्त, दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। वैसे तो प्रदोष व्रत के दिन शिव पूजन के लिए प्रदोष काल सबसे उत्तम रहता है लेकिन इस प्रदोष पर विशेष योग का निर्माण हो रहा है। आइए जानते हैं सावन के दूसरे प्रदोष व्रत की तिथि,मुहूर्त और विशेष योग के बारे में...

तिथि, मुहूर्त और विशेष योग

सावन माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 20 अगस्त, दिन शुक्रवार को पड़ रहा है। ये सावन का दूसरा और अंतिम प्रदोष व्रत है। पंचांग गणना के अनुसार त्रयोदशी की तिथि 19 अगस्त की रात्रि से शुरू हो जाएगी जो कि 20 अगस्त को रात 08 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी। उदया तिथि होने के कारण प्रदोष का व्रत 20 अगस्त को ही रखा जाएगा। इसके अतिरिक्त प्रदोष के दिन आयुष्मान तथा सौभाग्य योग लग रहा है। ये दोनों ही योग कार्य में सफलता और मनवांछित फल प्राप्त करने के लिए उत्तम हैं। आयुष्मान योग 20 अगस्त को दिन में 03 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सौभाग्य योग लग जाएगा।

प्रदोष व्रत और पूजन की विधि

प्रदोष व्रत में भगवान शिव का पूजन माता पार्वती के साथ किया जाता है। इस दिन प्रातः काल उठ कर स्नान आदि से निवृत्त हो कर भगवान शिव और पार्वती का चित्र सफेद रंग के आसन पर स्थापित करें। भगवान शंकर को बेल पत्र, भांग, धतूरा, मदार पुष्प और दूध,दही तथा शहद का भोग लगाया जाता है। माता पार्वती को धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित कर सुहाग का समान चढ़ाना चाहिए। इसके बाद मंत्रों और स्तोत्रों का पाठ कर स्तुति करें। पूजन का अंत आरती करके करना चाहिए।

डिसक्लेमर

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