Kalashtami: कालाष्टमी का व्रत कर मृत्यु के भय से मुक्त हो जाते हैं मुक्त, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
Kalashtami एक वर्ष में 12 कालाष्टमी आती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी की रात भगवान शिव ने भगवान भैरव को प्रकट किया था।
Kalashtami: एक वर्ष में 12 कालाष्टमी आती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। मान्यता है कि मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी की रात भगवान शिव ने भगवान भैरव को प्रकट किया था। इसलिए हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दौरान काल भैरव की पूजा की जाती है। तो आइए जानते हैं फाल्गुन मास में किस तारीख को यह तिथि पड़ रही है।
माघ कालाष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त:
फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, 5 फरवरी 2021, गुरुवार
फाल्गुन, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि शुरू- 5 मार्च, गुरुवार शाम 7 बजकर 54 मिनट से
फाल्गुन, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि समाप्त- 6 मार्च, शुक्रवार शाम 6 बजकर 10 मिनट पर
माघ कालाष्टमी का महत्व:
कालाष्टमी के दिन, भक्त सूर्योदय से पहले उठते हैं और स्नानादि करते हैं। फिर व्रत का संकल्प करते हैं। इस दिन काल भैरव के साथ-साथ भगवान शिव और पार्वती की पूजा भी की जाती है। इस दिन उपवास किया जाता है। फिर शाम के समय भगवान कालभैरव के मंदिर जाया जाता है और उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन रात के समय जागरण किया जाता है जिससे व्रत के पुण्य में वृद्धि होती है। इस दिन कुत्तों को खाना खिलाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं। भक्तों का मानना है कि भैरव अष्टमी का व्रत करने से उनके पाप धुल जाएंगे और वे मृत्यु के भय से मुक्त हो जाएंगे।
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