बिल्ली और दीपावली का छिपकली से क्या है कनेक्शन? जानें क्या है मान्यता

दीपावली में अभी समय है। एक महीने तक अधिकमास यानी कि मल मास चलेंगे और उसके बाद नवरात्र की स्थापना होगी। 9 दिन के नवरात्र के बाद विजयदशमी मनाई जाएगी और दशहरे के ठीक बीस दिन बाद दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 12:30 PM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 06:31 AM (IST)
बिल्ली और दीपावली का छिपकली से क्या है कनेक्शन? जानें क्या है मान्यता
बिल्ली और दीपावली का छिपकली से क्या है कनेक्शन

दीपावली में अभी समय है। एक महीने तक अधिकमास यानी कि मल मास चलेंगे और उसके बाद नवरात्र की स्थापना होगी। 9 दिन के नवरात्र के बाद विजयदशमी मनाई जाएगी और दशहरे के ठीक बीस दिन बाद दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है। दीपावली का उत्सव भारत ही नहीं पूरी दुनिया में मनाया जाता है। दीपोत्सव पांच दिन चलने वाला त्यौहार है जिसकी शुरुआत धन तेरस के साथ होती है। अगले दिन छोटी दीपावली और फिर दीपावली। ठीक ऐसे ही दो दिन आगे भी दीपोत्सव चलता है जिसमें अन्नकूट और भाईदूज का त्यौहार दीपावली के अगले दो दिन मनाया जाता है।

आम तौर पर बिल्ली का रास्ता काटना अपशगुन की तरह देखा जाता है। हालांकि दुनिया में अपशगुन जैसी कोई चीज नहीं होती, लेकिन कई मान्यताओं के साथ भ्रांतियां भी चली आ रही हैं जिनमें छींक मारने पर काम न करना या बिल्ली का रास्ता काट जाने पर आगे न जाना शामिल है। इन्हें अंधविश्वास भी कहते हैं। पर इससे इतर बिल्लियों और दीपावली से जुड़े एक शगुन की बात करते हैं। ऐसा माना जाता है कि दीपावली के दिन बिल्ली घर में आ जाए तो वारे न्यारे हो जाते हैं।

आप याद कीजिए, घर के बुजुर्ग अक्सर दीपावली के दिन शाम को सारे दरवाजे खुले रखने की सलाह देते आए हैं। उनका तर्क यह रहता है कि आज लक्ष्मी पूजन का दिन है और लक्ष्मी आने के लिए दरवाजे खुले रहने चाहिएं। ठीक ऐसे ही यह भी कहा जाता रहा है कि काश आज बिल्ली घर आ जाए। मान्यता है कि बिल्ली लक्ष्मी का रूप लेकर दीपावली पर घर आती है, उसे रोका न जाए। इसलिए दीपावली पर बिल्ली को मारने, भगाने या डराने से सख्त मना किया जाता है।

ठीक ऐसे ही लोगों को ये भी मानना रहता है कि दीपावली के दिन अगर छिपकली सर पर गिर जाए, या शरीर पर गिर जाए तो वो भी शुभ होता है। हालांकि शुभ और अशुभ बहुत ही पिछड़ी मानसिकता का परिचय देती सोच लगती है, लेकिन जहां तक बात आस्था और विश्वास से जुड़ी हो लोग मानते हैं। और प्रायोगिक तौर पर भी ये कहा गया है कि अगर कोई मान्यता किसी को नुकसान नहीं पहुंचा रही तो उस पर विश्वास करने में कोई हर्ज नहीं। छिपकली और दीपावली के इसी संयोग के कारण लोग, जो बाकि पूरे साल छिपकलियों को भगाते दिखते हैं, दीपावली के दिन उन्हें भगाते नहीं हैं।

डिस्क्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '

 

chat bot
आपका साथी