ऊर्जा: खेलों की उपयोगिता: खेलों में हार और जीत जीवन में सफलता एवं असफलता के समय संतुलन बनाने की देती है प्रेरणा
आज के परिवेश और जीवन शैली का एक नकारात्मक पहलू है कि बच्चे हों या युवा लगातार मोबाइल पर गेम खेलना उनकी एक आदत बनती जा रही है। ऐसे में नई पीढ़ी की खेलों में रुचि बढ़ाने के लिए अभिभावकों तथा शिक्षण संस्थाओं को विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
जीवन में शिक्षा के साथ-साथ खेलों का भी अपना महत्व है। खेल मानव के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक हैं। उनसे हमारे भीतर अनुशासन एवं परिश्रम जैसे गुण और सामाजिकता एवं देश प्रेम का भाव उत्पन्न होता है। उनमें होने वाली हार और जीत जीवन में सफलता एवं असफलता के समय संतुलन बनाने की प्रेरणा देती हैं। खेलकूद से संयम, दृढ़ता, गंभीरता और सहयोग की भावना का भी विकास होता है। खेलों से नीरस जीवन सरस बनता है। मस्तिष्क के शरीर से और शरीर के खेल से पारस्परिक संबंधों को देखते हुए कह सकते हैं कि खेलकूद व्यक्ति के बहुमुखी विकास के लिए आवश्यक है। नेपोलियन को पराजित करने वाले एडवर्ड नेल्सन का कथन खेलों के महत्व को रेखांकित करता है कि ‘मैंने वाटरलू के युद्ध में जो सफलता प्राप्त की, उसका प्रशिक्षण ईटन के मैदान में मिला।’
एक सवाल बच्चों के मन में अक्सर आता है कि क्या पढ़ाई और खेलकूद साथ-साथ चल सकते हैं। इसका उत्तर है-हां। खेलों में सक्रियता का यह अर्थ नहीं है कि आप पढ़ाई-लिखाई छोड़ दो और अध्ययन का यह अर्थ नहीं है कि आप खेलना छोड़ दो। लगातार पढ़ाई के दौरान कई बार तनाव की स्थिति बनती है। खेल से तनाव का स्तर कम होता है। जो नित्यप्रति खेल में हिस्सा लेते हैं, उनकी एकाग्रता और अंतर्दृष्टि विलक्षण होती है। खेल से रचनात्मकता को भी बढ़ावा मिलता है।
अमेरिकी बास्केटबाल खिलाड़ी कोबे ब्रायंट का कथन है कि ‘खेल एक महान शिक्षक है। मुझे लगता है कि उन्होंने जो कुछ भी मुझे सिखाया है वह है: मतभेद और विनम्रता और यह भी कि मतभेदों को कैसे हल करें।’ आज के परिवेश और जीवन शैली का एक नकारात्मक पहलू यह है कि बच्चे हों या युवा, लगातार मोबाइल पर गेम खेलना उनकी एक आदत बनती जा रही है। ऐसे में नई पीढ़ी की खेलों में रुचि बढ़ाने के लिए अभिभावकों तथा शिक्षण संस्थाओं को विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
- कैलाश एम. बिश्नोई