Dhumavati jayanti 2021: आज है धूमावती जयंती, जानें सही तिथि, पूजन विधि तथा महत्व

Dhumavati jayanti 2021 आदिशक्ति माता पार्वती के एक रूप को धूमावती माता के नाम में से भी जाना जाता है। धूमावती मां का स्वरूप अत्यंत विकराल एवं उग्र है ये प्रलयकाल में भी स्थित रहती हैं। आइए जानते हैं धूमावती माता की जयंति और उनकी पूजन विधि को।

By Jeetesh KumarEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 06:00 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 06:13 AM (IST)
Dhumavati jayanti 2021: आज है धूमावती जयंती, जानें सही तिथि, पूजन विधि तथा महत्व
Dhumavati jayanti 2021: आज है धूमावती जयंती, जानें सही तिथि, पूजन विधि तथा महत्व

Dhumavati Jayanti 2021 : आदिशक्ति माता पार्वती के एक रूप को धूमावती माता के नाम में से भी जाना जाता है। धूमावती मां का स्वरूप अत्यंत विकराल एवं उग्र है, ये प्रलयकाल में भी स्थित रहती हैं। मान्यता है कि जब प्रलय काल में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड समाप्त हो जाता है, महाकाल भी अंतर्ध्यान हो जाते हैं, चारों ओर केवल धुआं-धुआं ही रह जाता है, धूमावती माता उस समय में भी अकेली अवस्थित रहती हैं। धूमावती माता सफेद वस्त्र धारण करती हैं, इनके बाल हमेशा बिखरे हुए रहते हैं तथा कौवे को अपना वाहन बनाती हैं। आइए जानते हैं धूमावती माता की जयंती और उनकी पूजन विधि के बारे में।

धूमावती जयंती की तिथि

शास्त्रों के अनुसार धूमावती माता का अवतरण ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इस दिन को धूमावती जयंती के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष ये तिथि 18 जून को पड़ रही है। धूमावती माता की पूजा करने से रोग से मुक्ति, शत्रुओं पर विजय तथा विपत्तियों को नाश हो जाता है। मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से जीवन के सभी अनिष्ट समाप्त हो जाते हैं। मान्यता है कि सुहागिन स्त्रियों को धूमावती माता की पूजा नहीं करनी चाहिए।

धूमावती माता की पूजन विधि

धूमावती जयंती के दिन माता की पूजा का विशेष विधान है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर पूजा के स्थल को गंगाजल से पवित्र करें। इसके बाद धूमावती माता के फोटो या चित्र पर जल, पुष्प, कुमकुम, अक्षत, फल, धूप, दीप और नैवैद्य आदि चढ़ाए। इसके उपरान्त मां धूमावती की कथा पढ़ना चाहिए तथा माता के मंत्रों का जाप करें।

माता धूमावती को प्रसन्न करने के मंत्र

ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्।

धूम्रा मतिव सतिव पूर्णात सा सायुग्मे।

सौभाग्यदात्री सदैव करुणामयि:।

धूं धूं धूमावती ठ: ठ:।

मंत्रों का जाप करके अंत में धूमावती माता से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगनी चाहिए तथा इच्छित वर मांगे।

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