Kheer on Sharad Purnima 2021: जानिए, शरद पूर्णिमा पर खीर खाने का वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
Kheer on Sharad Purnima 2021 मान्यता है इस शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में रखी गई खीर को खाने से रोग प्रतिरोधकता और आरोग्य में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं इस तथ्य के पीछे के वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व के बारे में......
Kheer on Sharad Purnima 2021: अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन से शरद ऋतु का आगमन होता है। शरद पूर्णिमा वर्षा ऋतु और शीत ऋतु के संधिकाल में पड़ती है। इसलिए इस दिन का धार्मिक के साथ चिकित्सकीय महत्व भी है। आयुर्वेद में शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की रोशनी को अमृत से समान बताया गया है। मान्यता है इस रात चंद्र दर्शन नेत्र विकार दूर करता है और इस रात चंद्रमा की रोशनी में रखी गई खीर को खाने से रोग प्रतिरोधकता और आरोग्य में वृद्धि होती है।आइए जानते हैं इस तथ्य के पीछे के वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व के बारे में......
शरद पूर्णिमा पर खीर खाने का वैज्ञानिक तर्क
शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा अपनी पूर्ण कला में होता है और वर्षा ऋतु के बाद आसमान भी सबसे स्वच्छ अवस्था में होता है। इस रात में चावल और दूध से बनी खीर को चांदी या तांबे के अलाव किसी भी धातु के पात्र में रख कर साफ कपड़े से बांध देना चाहिए। रात भर चंद्रमा की रोशनी में रख कर, इसे सुबह खाने से रोग प्रतिरोधकता में वृद्धि होती है। इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क है कि दूध में लैक्टिक अम्ल होता है जो कि चंद्रमा की किरणों से रोगाणुनाशक शक्ति अर्जित करता है। चावल के स्टार्च के मिश्रण से ये प्रक्रिया और तेज हो जाती है। इस खीर को खाने से दमा, त्वचा रोग और श्वांस रोग में विशेष लाभ मिलता है।
शरद पूर्णिमा पर खीर खाने का धार्मिक महत्व
शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा का विधान है। दोनों को ही दूध और चावल की बनी खीर विशेष रूप से प्रिय है। इस दिन मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाने से धन-संपन्नता में वृद्धि होती है। शरद पूर्णिमा पर खीर का भोग लगाकर गरीबों में बांटना चाहिए। ऐसा करने से घर से दुख, दारिद्रय दूर होता है। चंद्रमा को खीर का भोग लगा कर अर्ध्य प्रदान करने से कुण्डली में व्याप्त चंद्रदोष दूर होता है।
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