Know All About Rahu: राहु को क्यों कहते हैं पापी ग्रह? आज से बदली है अपनी चाल
Know All About Rahu राहु 18 महीनों के बाद 23 सितंबर 2020 को राशि परिवर्तन करने जा रहा है। राहु के राशि परिवर्तन से सभी जातकों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ने वाला है। ज्योतिष में राहु ग्रह को एक पापी ग्रह माना जाता है।
Know All About Rahu: ज्योतिष शास्त्र सभी 9 ग्रहों की चाल, 12 राशियों के गुण और 27 नक्षत्रों की गणना के आधार पर ही किसी घटना के बारे में भविष्यवाणी करता है। ग्रहों, राशियों और नक्षत्रों की अपनी-अपनी भूमिका होती है। सभी का गहन रूप से विश्लेषण कर किसी नतीजे पर पहुंचा जाता है। ज्योतिष गणना में ग्रहों की विशेष भूमिका होती है। सभी 9 ग्रहों में कुछ ग्रह शुभ तो कुछ अशुभ परिणाम देते हैं।
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि आम धारणा के अनुसार, कुछ ऐसे ग्रह हैं जिनका नाम आते ही लोग डरकर कांपने लगते हैं। उन्हें लगता है कि अगर ये ग्रह कुंडली के अशुभ घर में आकर बैठ गए तो जीवन में भारी मुसीबते आनी आरंभ हो जाएंगी। इन ग्रहों में राहु, केतु, शनि और मंगल का नाम आता हैं। ज्योतिष शास्त्र में इन्हें पापी और अशुभ फल देने वाला ग्रह माना गया है। हालांकि ये ग्रह हमेशा अशुभ फल ही देते हैं, ऐसा नहीं कहा जा सकता। कभी-कभी ये पापी और अशुभ ग्रह कुंडली में ऐसे भाव में आकर बैठ जाते हैं, जहां से जातक के जीवन में वैभव और तमाम तरह की खुशियां मिलने लगती हैं। जातक रंक से राजा बन जाता है।
राहु ग्रह
आज हम आपको राहु ग्रह के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल राहु 18 महीनों के बाद 23 सितंबर 2020 को राशि परिवर्तन करने जा रहा है। राहु के राशि परिवर्तन से सभी जातकों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ने वाला है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु एक ऐसा ग्रह है जो अचानक फल देता है। यह फल शुभ भी हो सकता है और अशुभ भी। इसी कारण से राहु का नाम सुनते ही लोग परेशान हो उठते हैं। राहु की चाल से कुंडली में शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग बनते हैं। राहु की वजह से लोगों की बुद्धि भ्रमित हो जाती है, लेकिन कुछ ऐसी स्थितियां भी बनती हैं जब राहु न सिर्फ सताता है बल्कि राजपाट भी दिलाता देता है। राहु की वजह से व्यक्ति सभी तरह का सुख और वैभव को प्राप्त करने लगता है। राहु की जब-जब भी किसी अन्य ग्रह के साथ मिलकर युति बनती है तब शुभ और अशुभ दोनों तरह का योग बनता है।
राहु ग्रह का महत्व
ज्योतिष में राहु ग्रह को एक पापी ग्रह माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को कठोर वाणी, जुआ, यात्राएं, चोरी, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग, धार्मिक यात्राएं आदि का कारक कहते हैं। जिस व्यक्ति की जन्म पत्रिका में राहु अशुभ स्थान पर बैठा हो अथवा पीड़ित हो, तो यह जातक को इसके नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है, लेकिन मिथुन राशि में यह उच्च होता है और धनु राशि में यह नीच भाव में होता है।
राहु, छाया ग्रह क्यों?
27 नक्षत्रों में राहु आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्रों का स्वामी है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, राहु एक छाया ग्रह है जिसका कोई भी भौतिक स्वरूप नहीं है। दरअसल सूर्य और पृथ्वी के बीच जब चंद्रमा आता है और चंद्रमा का मुख सूर्य की तरफ होता है तो पृथ्वी पर पड़ने वाली चंद्रमा की छाया राहु ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है।
राशियों से संबंध
हिन्दू ज्योतिष में राहु को एक पापी ग्रह माना गया है। ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन मिथुन राशि में यह उच्च होता है और धनु राशि में यह नीच भाव में होता है।
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