ऊर्जा: घमंड का दंड- अहंकारी मनुष्य का पतन निश्चित, धन या बल से सब कुछ खरीदा जा सकता है, परंतु मान-सम्मान और चरित्र नहीं
ऊर्जा महात्मा गांधी ने कहा है कि ‘ऐसा मानिए कि जो हम करते हैं वह दूसरे भी कर सकते हैं। यदि हम न मानें तो अहंकारी ठहराए जाएंगे।’ इतिहास ऐसे प्रमाणों से भरा है जहां बड़े से बड़े विद्वान और शूरवीरों को भी अपने घमंड का दंड भुगतना पड़ा था।
घमंड एक नकारात्मक मानवीय स्वभाव है। वैसे तो व्यक्ति के घमंडी होने के कई कारण हैं, लेकिन वर्तमान में धन-संपदा और भौतिकता के प्रदर्शन का घमंड लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। विशेषकर अचानक से धनी बने लोगों का व्यवहार उनके दंभ को प्राय: उजागर ही कर देता है। दरअसल जब व्यक्ति के पास आवश्यकता से अधिक धन आ जाता है तो वह यही सोचने लगता है कि उसके पास सब कुछ है। वह दूसरों को अपने से हीन समझने लगता है। यदि वह व्यक्ति अज्ञानी और अशिक्षित हो तो यह प्रवृत्ति अधिक मुखर होकर दिखती है। अगर उस व्यक्ति ने अनैतिक कार्यों से धन अर्जन किया हो तो उसके घमंडी होने की आशंका और प्रबल हो जाती है। ऐसे व्यक्ति का सर्वनाश निश्चित होता है। अत: व्यक्ति को घमंडी होने से बचना चाहिए।
इस संबंध में महर्षि दयानंद जी ने कहा कि अहंकारी मनुष्य का पतन निश्चित है। जिसे घमंड करने की आदत होती है वह शायद ही कभी दूसरों के बारे में कोई अच्छी बात कहे। अगर कोई धन के प्रति घमंड करता है तो उसके बुरे दिनों में कोई भी उसकी सहायता करने से संकोच करता है। घमंड का एक और रूप होता है, जिसे यूनानी भाषा में ईव्रिस कहते हैं। यूनानी भाषा के विद्वान विलियम बार्कले के अनुसार ईव्रिस से आशय ऐसे घमंड से है, जिसमें क्रूरता भरी हुई हो। यह घमंड का ऐसा स्वरूप है, जिसमें लोग दूसरों को नीचा दिखाने के लिए बेरहमी से उनकी भावनाओं को रौंदते हैं। ऐसे सोच के लोगों में क्रूरता आ ही जाती है। इसके बाद उनका विनाश तय माना जाता है, क्योंकि धन या बल से सब कुछ खरीदा जा सकता है, परंतु मान-सम्मान और चरित्र नहीं। महात्मा गांधी ने भी कहा है कि ‘ऐसा मानिए कि जो हम करते हैं, वह दूसरे भी कर सकते हैं। यदि हम ऐसा न मानें तो अहंकारी ठहराए जाएंगे।’ स्मरण रहे कि इतिहास ऐसे प्रमाणों से भरा है, जहां बड़े से बड़े विद्वान और शूरवीरों को भी अपने घमंड का दंड भुगतना पड़ा था।
- नृपेंद्र अभिषेक नृप