Pauranik Kathayen: जब श्री हरि विष्णु को मिला था सुदर्शन चक्र, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen प्राचीन काल में राक्षसों का अत्याचार इतना ज्यादा बढ़ गया था कि धार्मिक कार्यों को पूरा करना बेहद मुश्किल हो गया था। पूरी पृथ्वी पर राक्षसों ने हाहाकार मचा रखा है। पृथ्वी लोक के साथ-साथ राक्षस स्वर्ग पर भी अपना आधिपत्या स्थापित करना चाहते थे।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 09:00 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 02:52 PM (IST)
Pauranik Kathayen: जब श्री हरि विष्णु को मिला था सुदर्शन चक्र, पढ़ें यह पौराणिक कथा
जब श्री हरि विष्णु को मिला था सुदर्शन चक्र, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Pauranik Kathayen: प्राचीन काल में राक्षसों का अत्याचार इतना ज्यादा बढ़ गया था कि धार्मिक कार्यों को पूरा करना बेहद मुश्किल हो गया था। पूरी पृथ्वी पर राक्षसों ने हाहाकार मचा रखा है। पृथ्वी लोक के साथ-साथ राक्षस स्वर्ग पर भी अपना आधिपत्या स्थापित करना चाहते थे। इस समस्या को लेकर देवराज इंद्र समस्त देवगणों के साथ भगवान विष्णु के पास गए। उन्होंने कहा, “हे प्रभु! आप हमें राक्षसों के प्रकोप से मुक्ति दीजिए।” इस पर विष्णु जी ने कहा कि इस समस्या का निदान केवल शिव जी ही कर सकते हैं।

विष्णु जी ने शिव जी की तपस्या की जिससे राक्षसों का विनाश हो सके। विष्णु जी ने हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों पर तपस्या शुरू की। शिव शंकर के नाम का जप हजारों बार किया। उन्होंने संकल्प किया कि वो हर नाम के साथ एक कमल का फूल अर्पित करेंगे। इस पर शिव जी ने विष्णु जी की परीक्षा लेने के बारे में विचार किया।

विष्णु जी ने एक हजार फूलों में से एक फूल हटा दिया। की परीक्षा लेने के लिए भगवान शिव ने एक हजार कमल के फूलों में से एक फूल गायब कर दिया। तपस्या में लीन विष्णु जी को इस बात का अंदाजा ही नहीं लगा। विष्णु जी ने अपनी तपस्या जारी रखी। वो नाम जपते और एक फूल चढ़ाने लगे। जब आखिरी नाम लिया तो विष्णु जी ने देखा कि उनके पास एक भी कमल नहीं बचा है। अगर वो कमल नहीं चढ़ाएंगे तो उनका संकल्प भंग हो जाएगा। ऐसे में विष्णु जी ने कमल की जगह अपनी एक आंख अर्पित कर दी।

विष्णु जी का भक्ति भाव देख शिव जी बेहद प्रसन्न हुए। वो विष्णु जी के सामने प्रकट हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। विष्णु जी ने राक्षसों का संहार करने के लिए शिव जी से अजय शस्त्र मांगा। तब उन्होंने विष्णु जी को सुदर्शन चक्र दिया। इस चक्र से ही विष्णु जी ने राक्षसों को मार गिराया। इसी तरह विष्णु जी को सुदर्शन चक्र प्राप्त हुआ। 

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