Pauranik Katha: जब हनुमान जी के क्रोध को श्रीकृष्ण ने किया था शांत, पढ़ें महाभारत के युद्ध की यह कथा

Pauranik Katha महाभारत का युद्ध चल रहा था। इस दौरान हनुमान जी अर्जुन के रथ पर बैठे थे। हनुमान जी बीच-बीच में रथ पर खड़े होकर कौरवों की सेना की तरफ घूर कर देख रहे थे।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 11:00 AM (IST) Updated:Sun, 09 Aug 2020 11:31 AM (IST)
Pauranik Katha: जब हनुमान जी के क्रोध को श्रीकृष्ण ने किया था शांत, पढ़ें महाभारत के युद्ध की यह कथा
Pauranik Katha: जब हनुमान जी के क्रोध को श्रीकृष्ण ने किया था शांत, पढ़ें महाभारत के युद्ध की यह कथा

Pauranik Katha: महाभारत का युद्ध चल रहा था। इस दौरान हनुमान जी अर्जुन के रथ पर बैठे थे। हनुमान जी बीच-बीच में रथ पर खड़े होकर कौरवों की सेना की तरफ घूर कर देख रहे थे। जैसे ही हनुमान जी उन्हें देखते वो सभी तूफान की गति से युद्ध भूमि छोड़कर भाग जाते। इतना साहस किसी में नहीं था कि वो हनुमान जी की दृष्टि का सामना कर पाए। एक दिन जब कर्ण और अर्जुन के बीच युद्ध चल रहा था। इन दोनों के बीच भयंकर बाणों की वर्षा हो रही थी। इस वर्षा में कई बार श्रीकृष्ण को भी बाण लगते गए। इससे श्रीकृष्ण का कवच कटकर गिर गया और उनके शरीर पर बाण लगना शुरू हो गए।

हनुमान जी रथ की छत पर बैठे उन्हें देख ही रहे थे। कर्ण के बाण लगातार कृष्ण जी के शरीर पर लगता देख हनुमान जी क्रोधित हो गए। उनसे यह सहन नहीं हुआ और वो अचानक से उठे और गर्जने लगे। दोनों हाथ उठाकर हनुमान जी ने कर्ण को मार देने के लिए उठ खड़े हुए। उनकी गर्जना सुनकर मानो ब्रह्माण्ड फट गया हो। कौरव सेना तो पहले ही भाग खड़ी हुई थी। वहीं, अब पांडव पक्ष की बारी थी। हनुमान जी की गर्जना के डर से वे भी भागने लगे थे। इनका क्रोध देखकर कर्ण के हाथ से धनुष छूट गया।

इस पर भगवान श्रीकृष्ण तुरंत उठे और अपना दक्षिण हस्त उठाया। उन्होंने इसे हनुमानजी को स्पर्श किया और सावधान किया। उन्होंने हनुमान जी से कहा कि ये उनके क्रोध का समय नहीं है। कृष्ण जी के समझाने से वो रुक तो गए लेकिन उनकी पूंछ ज्यों की त्यों ही खड़ी रही। इनकी पूंछ आकाश में खड़ी होकर हिल रही थी। हनुमान जी के दोनों हाथों की मुठ्ठियां बंद थीं। वो अपने दांत काट रहे थे। हनुमानजी का क्रोध ऐसा था कि कर्ण और उनके सारथी की हालत खराब थी वो सभी कांप रहे थे।

जब श्रीकृष्ण ने देखा कि हनुमानजी का क्रोध शांत नहीं हुआ तो उन्होंने कड़े स्वर में कहा कि हनुमान! मेरी तरफ देखो। अगर तुमने कर्ण की तरफ इसी तरह कुछ और देर देखा तो वो तुम्हारी दृष्टि से ही मर जाएगा। यहां तुम्हारे पराक्रम और तेज को कोई सह नहीं पाएगा। यह त्रेतायुग नहीं है। श्रीकृष्ण ने फिर हनुमान जी को कहा कि उन्होंने उन्हें शांत रहकर बैठने को कहा है। कृष्ण की बात सुनकर हनुमान जी शांत होकर बैठ गए।  

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