Pauranik Katha: कैसे हुआ था अर्जुन के बेटे अभिमन्यु का वध, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Pauranik Katha कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच 18 दिन तक युद्ध चला। युद्ध वाले दिन कौरवों की एक टुकड़ी अर्जुन से करने लगी और उसे रणभूमि से दूर ले गई। वहीं गुरू द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए एक चक्रव्यूह बनाया।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 16 Jan 2021 05:10 PM (IST) Updated:Sat, 16 Jan 2021 05:10 PM (IST)
Pauranik Katha: कैसे हुआ था अर्जुन के बेटे अभिमन्यु का वध, पढ़ें यह पौराणिक कथा
Pauranik Katha: कैसे हुआ था अर्जुन के बेटे अभिमन्यु का वध, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Pauranik Katha: कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों के बीच 18 दिन तक युद्ध चला। युद्ध वाले दिन कौरवों की एक टुकड़ी अर्जुन से करने लगी और उसे रणभूमि से दूर ले गई। वहीं, गुरू द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए एक चक्रव्यूह बनाया। लेकिन यह चक्रव्यूह केवल अर्जुन को ही तोड़ना आता था जिसे रणभूमि से दूर ले जाया जा चुका था। अब युद्ध के नियम अनुसार युद्ध लड़ना भी जरूरी था। लेकिन धर्मराज युधिष्ठिर को क्या किया जाए यह सूझ नहीं रहा था।

इतने में ही युधिष्ठिर के सामने एक युवक आया और कहा कि उसे चक्रव्यूह तोड़ना आता है। साथ ही कहा, “युद्ध करने का आशीर्वाद दीजिए।” यह युवक था अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु। इसकी उम्र मात्र 16 वर्ष था। वह अपने पिता के जैसे ही युद्ध में कौशल और निपुण था। लेकिन युधिष्ठिर ने अभिमन्यु को युद्ध करने से मना कर दिया। लेकिन अभिमन्यु ने कहा कि उसे चक्रव्यूह तोड़ना आता है। उसने कहा, “जब मैं अपनी मां के गर्भ में था तब मेरे पिता ने मां को चक्रव्यूह तोड़ने का तरीका बताया था। तब मैंने भी इसे सीख लिया था। मैं आगे रहूंगा और आप सब मेरे पीछे-पीछे आइए।”

युधिष्ठिर ने अभिमन्यु की बात मान ली। सभी इस बात पर तैयार हो गए। अभिमन्यु आगे बढ़ा और सभी उसके पीछे। यह देख सभी कौरव मजाक उड़ाने लगा। सबने कहा कि यह बच्चा काफी छोटा है। लेकिन जैसे ही उन सभी ने अभिमन्यु के युद्ध कौशल को देखा तो सभी हैरान रह गए। अभिमन्यु ने दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण को मार गिराया। ऐसा करते ही वो चक्रव्यूह में प्रवेश कर गया। जैसे ही उसने चक्रव्यूह में प्रवेश किया तो सिंधू के राजा जयद्रथ ने चक्रव्यूह का द्वार बंद कर दिया। इससे पांडव चक्रव्यूह में प्रवेश नहीं कर पाए।

लेकिन अभिमन्यु आगे बढ़ रहा था। उसने एक के बाद एक योद्धाओं को हराया। इनमें दुर्योधन, कर्ण और गुरु द्रोण भी शामिल थे। अभिमन्यु को हारने का तरीका किसी को समझ नहीं आ रहा थआ। तभी कौरवों ने एक साथ मिलकर अभिमन्यु पर हमला कर दिया। किसी ने उसका धनुष तोड़ा तो किसी ने रथ। फिर भी अभिमन्यु आगे बढ़ता रहा। अभिमन्यु ने रथ का पहिया उठाया और युद्ध करना शुरू कर दिया। वह अकेला लड़ा। आखिरी में सभी ने मिलकर उसकी हत्या कर दी। अपने बेटे की मृत्यु के बाद अर्जुने ने प्रतिज्ञा ली कि वह अगले दिन युद्ध में जयद्रथ का वध कर देगा।  

chat bot
आपका साथी