Dussehra 2020: जब भगवान श्रीराम मां चंडी को प्रसन्न करने के लिए अर्पित करने जा रहे थे अपनी आंख

Dussehra 2020 असुर और वानर सेना में भयंकर युद्ध चल रहा था। तब भगवान श्रीराम और रावण दोनों ने ही अपनी विजय के लिए मां चंडी की पूजा और यज्ञ किया था। आइए पढ़ते हैं लंका युद्ध के समय श्रीराम की चंडी पूजा का वृतांत।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 01:30 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 07:36 AM (IST)
Dussehra 2020: जब भगवान श्रीराम मां चंडी को प्रसन्न करने के लिए अर्पित करने जा रहे थे अपनी आंख
आइए पढ़ते हैं लंका युद्ध के समय श्रीराम की चंडी पूजा का वृतांत।

Dussehra 2020: नवरात्रि के पावन पर्व में हर व्यक्ति आदिशक्ति जगदम्बा को प्रसन्न कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति कर लेना चाहता है। त्रेतायुग में जब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था और भगवान श्रीराम वानर सेना के साथ लंका पर चढ़ाई कर दिए थे। असुर और वानर सेना में भयंकर युद्ध चल रहा था। तब भगवान श्रीराम और रावण दोनों ने ही अपनी विजय के लिए मां चंडी की पूजा और यज्ञ किया था। लेकिन हनुमान जी ने रावण के उस यज्ञ को पूरा नहीं होने दिया, वहीं भगवान श्रीराम को लंका विजय का आशीष मिला। भगवान श्रीराम मां चंडी को अपना एक नेत्र अर्पित करने के लिए तैयार थे। इसकी पृष्ठभूमि में रावण की माया थी। आइए पढ़ते हैं लंका युद्ध के समय श्रीराम की चंडी पूजा का वृतांत।

युद्ध के समय ब्रह्मा जी ने रावण वध तथा लंका विजय के लिए श्रीराम को मां चंडी को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ करने का सुझाव दिया। उन्होंने चंडी पूजा के समय 108 नीलकमल मां चंडी को अर्पित करने को कहा था। भगवान श्रीराम ने चंडी पूजा के लिए 108 नीलकमल मंगवा लिए। रावण को जब श्रीराम के चंडी पूजा करने की बात पता चली तो उसने अपनी माया की शक्ति से एक नीलकमल गायब कर दिया।

चंडी पूजा के समय भगवान श्रीराम को पता चला कि एक नीलकमल कम हो गया है। अब श्रीराम को लगा ​कि वे चंडी पूजा को सफल नहीं ​कर पाएंगे। नीलकमल का मिलना दुर्लभ था। तब उनको याद आया कि उनके भक्त तो उनको नीलकमल कहते हैं। नीलकमल के नाम से पूजा करते हैं। फिर उन्होंने चंडी पूजा में कम हो रहे एक नीलकमल की जगह अपना नेत्र अर्पित करने का ​फैसला किया।

चंडी पूजा के समय उन्होंने एक एक करके 107 नीलकमल मां चंडी को अर्पित कर दिया। अब अंत में उन्होंने अपने एक नेत्र को मां चंडी को अर्पित करने का फैसला किया था तो उन्होंने अपने तरकश से तीर निकाला। तीर से वे अपना एक नेत्र निकालने जा रहे थे, तभी आदिशक्ति मां जगदम्बा प्रकट हुईं। उन्होंने भगवान श्रीराम से कहा कि वे उनकी पूजा से प्रसन्न हैं। आपको अपने नेत्र अर्पित करने की आवश्यकता नहीं है। मां जगदम्बा ने श्रीराम को लंका विजय का आशीर्वाद प्रदान किया।

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