Muharram 2021 Start and End Date: इस्लामिक इतिहास में मुहर्रम महीना का महत्व, जानिये इसके प्रमुख घटनाओं को

Muharram 2021 Start and End Date इस्लामिक तारीख के अनुसार मुहर्रम महीने में बहुत सारे महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुई हैं। हज़रत इमाम हुसैन की शहादत की वजह से मुहर्रम को गम की महीना भी कहा जाता है। 7 सितम्बर 2021 को यह माह समाप्त हो जाएगा।

By Ritesh SirajEdited By: Publish:Wed, 18 Aug 2021 09:00 AM (IST) Updated:Wed, 18 Aug 2021 09:00 AM (IST)
Muharram 2021 Start and End Date: इस्लामिक इतिहास में मुहर्रम महीना का महत्व, जानिये इसके प्रमुख घटनाओं को
Muharram 2021 Start and End Date: इस्लामिक इतिहास में मुहर्रम महीना का महत्व, जानिये इसके प्रमुख घटनाओं को

Muharram 2021 Start and End Date : मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है। इस्लाम में इस महीने को बहुत ही महत्वपर्ण माना जाता है। बीते 9 अगस्त की शाम चांद के बाद मुहर्रम माह की शुरूआत हो चुकी है और मुहर्रम माह 7 सितम्बर को समाप्त हो जाएगा। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 1443 हिजरी चल रहा है। हिजरी कैलेंडर की शुरूआत ख़लीफा हज़रत उमर फारुख ने की थी। इस्लामिक तारीख के अनुसार मुहर्रम महीने में बहुत सारे महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुई हैं। हज़रत इमाम हुसैन की शहादत की वजह से मुहर्रम को गम की महीना भी कहा जाता है। आइये जानते हैं इस्लामिक मान्यता के अनुसार मुहर्रम महीने की खास घटनाओं को: 

मुहर्रम महीना

मुहर्रम माह प्रारंभ : 9 अगस्त की शाम चांद के बाद मुहर्रम माह की शुरूआत हो चुकी है

मुहर्रम माह समाप्त : 7 सितम्बर 2021 को यह माह समाप्त हो जाएगा।  

मुहर्रम महीने की प्रमुख घटनाएं

इस्लामिक स्कॉलर मोहम्मद वक़ार आज़म ने बताया कि मुहर्रम महीना इस्लाम के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि इसी माह में मानवता के लिए लड़ते हुए पैंगम्बर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन सहित 72 साथियों ने शहादत दी थी। मुहर्रम महीने में ही इराक के कर्बला मैदान में यजीद के सैनिक और हज़रत इमाम हुसैन के बीच लड़ाई हुई थी। मुहर्रम महीने के अशूरा यानि दसवें दिन इमाम हुसैन शहीद हुए थे। मुहर्रम अशूरा 19 अगस्त को पड़ेगा। इस दिन शिया मुसलमान हुसैन की याद में मातम करते हैं। मुहर्रम के पूरे महीने मजलिस करते हैं।  

इस्लामिक इतिहास अनुसार, मोहर्रम के 10वें दिन पैंगबर मूसा ने मिस्र के फिरौन पर जीत हासिल की थी। जिसके याद में मुसलमान समुदाय रोज़ा रखते हैं।  

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