Muharram 2021 Date: भारत में कब है मुहर्रम? हज़रत इमाम हुसैन की शहादत से जुड़ा है इतिहास
Muharram 2021 Date इस्लाम में मुहर्रम को गम का महीना माना जाता है। मुस्लिम समाज खासकर शिया समुदाय के लोग इस माह के नौवें या दसवें दिन रोजा रखते हैं। इस दिन ताजिया जुलूस निकाला जाता है और उनको कर्बला में दफन किया जाता है।
Muharram 2021 Date: इस्लाम में मुहर्रम को गम का महीना माना जाता है। मुस्लिम समाज खासकर शिया समुदाय के लोग इस माह के नौवें या दसवें दिन रोजा रखते हैं। मुहर्रम में पैगम्बर हज़रत मोहम्मद के नाती हज़रत इमाम हुसैन समेत कर्बला के 72 शहीदों की शहादत को याद करते हुए मातम मनाया जाता है। इस साल मुहर्रम 19 अगस्त को है। इस दिन ताजिया जुलूस निकाला जाता है और उनको कर्बला में दफन किया जाता है। हालांकि इस साल भी कोरोना महामारी को देखते हुए कई राज्यों में मुहर्रम पर सख्त निर्देश दिए गए हैं, ताकि भीड़भाड़ से बचा जा सके।
हज़रत इमाम हुसैन की शहादत से जुड़ा है मुहर्रम
कर्बला की जंग बादशाह यज़ीद की सेना और हज़रत इमाम हुसैन के बीच लड़ी गई थी। इमाम हुसैन ने इस्लाम की रक्षा के लिए अपने परिवार और दोस्तों के साथ सर्वोच्च कुर्बानी दी थी। उनकी शहादत मुहर्रम के 10वें दिन हुई थी। इस दिन को आशूरा कहा जाता है। उन शहीदों की याद में हर साल ताजिए बनाए जाते हैं और जुलूस निकाले जाते हैं। ये ताजिए उन शहीदों के प्रतीक होते हैं। मातम मनाने के बाद उन ताजिए को कर्बला में दफनाया जाता है। इराक में आज भी इमाम हुसैन का मकबरा है।
मातम में कहते हैं खास बात
मुहर्रम के दिन जब मातम मनाया जाता है तो शिया समुदाय के लोग कहते हैं कि 'या हुसैन, हम न हुए।' इसका एक विशेष महत्व है। मातम मनाने वाले लोग कहते हैं कि हज़रत इमाम हुसैन हम बहुत दुखी हैं क्योंकि आपके साथ कर्बला की जंग में नहीं रहे। हम भी इस्लाम की रक्षा के लिए आपके साथ शहादत देते।
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'