Motivational Story: स्वार्थ और लोभ में न छोड़े अपनों का साथ, बाद में पड़ेगा पछताना

Motivational Story आज हम एक बार फिर प्रेरक कहानी लाए हैं जिसका सार यह है कि जो व्यक्ति स्वार्थ और लोभ में फंस जाता है और इस चक्कर में अपनों का साथ छोड़ देता है उसका कोई कभी-भी अपना नहीं बनता है और आखिरी में उसे पछताना पड़ता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 11:58 AM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 11:58 AM (IST)
Motivational Story: स्वार्थ और लोभ में न छोड़े अपनों का साथ, बाद में पड़ेगा पछताना
Motivational Story: स्वार्थ और लोभ में न छोड़े अपनों का साथ, बाद में पड़ेगा पछताना

Motivational Story: आज हम एक बार फिर प्रेरक कहानी लाए हैं जिसका सार यह है कि जो व्यक्ति स्वार्थ और लोभ में फंस जाता है और इस चक्कर में अपनों का साथ छोड़ देता है उसका कोई कभी-भी अपना नहीं बनता है और आखिरी में उसे पछताना पड़ता है। तो आइए पढ़ते हैं यह कहानी।

एक बार एक गांव में एक गड़रिया रहता था। उसका स्वभाव काफी लालची था। वह हमेशा अमीर बनने का सपना देखा करता था। वह गांव में सबसे अमीर बनना चाहता था। उसके पास कुछ बकरियां और उनके बच्चे थे। वे ही उनकी जीविका का साधन था। एक बार वो गांव से बाहर बकरियों को चराने लेकर गया। वह एक नए रास्ते पर निकल पड़ा क्योंकि उसे अच्छी घास ढूंढनी थी। वह कुछ दूर ही चला था तभी तेज बारिश होने लगी। तूफानी हवाएं चल रही थीं। वह एक सुरक्षित स्थान ढूंढ रहा था जिससे वो तूफान से बच सके। फिर उसे कुछ ऊंचाई पर एक गुफा दिखी। उस जगह का जायजा लेने के लिए गड़रिए ने बकरियों को वहीं बांध दिया। जैसे ही वो उस गुफा में पहुंचा तो उसकी आंखें फटी रह गईं। वहां कई जंगली भेड़ें मौजूद थीं।

उन्हें देख गड़रिए को लालच आ गया। उसे लगा कि अगर ये सभी भेड़ें उसकी हो जाएं तो वो अमीर हो जाएगा। क्योंकि इस तरह की भेड़ें गांव में किसी के पास नहीं हैं। उसने सोचा कि उन्हें बहला-फुसलाकर वो उन्हें मना लेगा। फिर इन सभी भेड़ों को वो अपने साथ गांव में लेकर चला जाएगा। ये सोचकर वो वापस नीचे उतरा। उसने नीचे उतरकर देखा कि उसकी बकरियां बेहद ही दुबली-पतली हैं और वो भेड़ें हट्टी-कट्टी हैं। ऐसे में उसे इन बकरियों की कोई जरूरत नहीं है। उसने जाकर बकरियों को खोल दिया। उसने यह भी परवाह नहीं की कि वो बारिश में भीग रही थीं। उसने घास का एक गट्ठर तैयार किया।

वह इस गट्ठर को लेकर गुफा में गया और काफी देर तक उन भेड़ों को अपने हाथ से हरी-हरी घास खिलाता रहा। फिर जब तूफान थम गया तो वह बाहर आया। उसने देखा कि उसकी बकरियां जा चुकी थीं। लेकिन उसे दुख नहीं था। क्योंकि वह भेड़ों को अपने पास देखकर खुश था।

भेड़ों के बारे में सोचकर वह गुफा की तरफ मुड़ गया। लेकिन उसने देखा कि भेड़ें बारिश रुकने के बाद वहां से कहीं और जाने लगी थीं। वह दौड़कर उनके पास पहुंचा। उसने सभी भेड़ों को अपने साथ ले जाने की कोशिश की लेकिन भेड़ें बहुत थीं। वह अकेला उन्हें नियंत्रित नहीं कर पा रहा था। ऐसे में कुछ ही देर में सारी भेड़े उसकी आंखों से ओझल हो गईं।

यह देख गड़रिये को बेहद गुस्सा आ गया। उसने चिल्लाकर कहा कि उसने बकरियों को भेड़ों के लिए बारिश में बाहर छोड़ दिया। इतनी मेहनत से घास काट कर खिलाई और वो सभी उसे छोड़कर चली गईं। इसने भेड़ों से कहा कि वो कितनी स्वार्थी हैं। गड़रिया बदहवास होकर वहीं बैठ गया। जब उसका गुस्सा शांत हुआ तो उसे समझ आया कि स्वार्थी वो नहीं बल्कि वो खुद है। उसने भेड़ों के लालच में आकर अपनी बकरियां भी खो दीं। ऐसे में इस कहानी का यह सार है कि जो व्यक्ति स्वार्थ और लोभ में फंस जाता है और इस चक्कर में अपनों का साथ छोड़ देता है उसका कोई कभी-भी अपना नहीं बनता है और आखिरी में उसे पछताना पड़ता है। 

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