Margashirsha Purnima 2020: साल 2020 की आखिरी पूर्णिमा आज, जानें व्रत, स्नान, दान के बारे में

Margashirsha Purnima 2020 मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 29 दिसंबर मंगलवार सुबह साढ़े सात बजे के बाद से हो गया है। वर्ष 2020 की आखिरी पूर्णिमा आज है। जिन लोगों को मार्गशीर्ष पूर्णिमा का स्नान दान आदि करना है वे लोग 30 दिसंबर दिन बुधवार को नदी में स्नान करेंगे।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Tue, 29 Dec 2020 08:40 AM (IST) Updated:Wed, 30 Dec 2020 09:49 AM (IST)
Margashirsha Purnima 2020: साल 2020 की आखिरी पूर्णिमा आज, जानें व्रत, स्नान, दान के बारे में
Margashirsha Purnima 2020: साल 2020 की आखिरी पूर्णिमा आज, जानें व्रत, स्नान, दान के बारे में

Margashirsha Purnima 2020: मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 29 दिसंबर मंगलवार सुबह साढ़े सात बजे के बाद से हो गया है। वर्ष 2020 की आखिरी पूर्णिमा आज है। जिन लोगों को मार्गशीर्ष पूर्णिमा का स्नान, दान आदि करना है, वे लोग 30 दिसंबर दिन बुधवार को नदी में स्नान करेंगे।

वर्ष 2020 की आखिरी पूर्णिमा तिथि को लेकर लोगों में कल मंगलवार को असमंजस की स्थिति देखने को मिल रही थी। कुछ लोग सोच रहे हैं कि मंगलवार को मार्गशीर्ष पूर्णिमा है तो कुछ लोग आज। मार्गशीर्ष पूर्णिमा या अगहन पूर्णिमा को लेकर जो भी असमंजस की स्थिति है उसको हम दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। जागरण अध्यात्म में आज काशी के ज्योतिषाचार्य पं गणेश मिश्र बता रहे हैं मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बारे में।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा या अगहन पूर्णिमा 2020

मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ आज 29 दिसंबर मंगलवार सुबह साढ़े सात बजे के बाद से हो गया है। ऐसे में जिन लोगों को पूर्णिमा व्रत रहना है, वे लोग आज पूर्णिमा व्रत रहेंगे। पूर्णिमा व्रत के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने का महत्व है।

वहीं जिन लोगों को मार्गशीर्ष पूर्णिमा का स्नान, दान आदि करना है, वे लोग 30 दिसंबर दिन बुधवार को नदी में स्नान करेंगे। इस दिन दान करने का 32 गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है। दरअसल उदया तिथि 30 दिसंबर को प्राप्त हो रही है, इसलिए पूर्णिमा तिथि उस दिन की मान्य होगी। ऐसे में साल 2020 की आखिरी पूर्णिमा 30 दिसंबर को पड़ेगी।

पूर्णिमा का महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा या अगहन पूर्णिमा के दिन नदी, सरोवर आदि में स्नान कर दान पुण्य किया जाता है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा तथा कथा श्रवण के बाद अपने सामर्थ्यनुसार गरीबों को को भोजन और दक्षिणा देने का विधान है। ऐसे करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती है।

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