Maa Kalratri Ki Aarti: आज करें मां कालरात्रि के कवच और आरती का पाठ, दूर होगा अकाल मृत्यु का भय

Maa Kalratri Ki Aartiमां कालरात्रि का विकराल रूप दैत्यों भूत-प्रेत के नाश के लिए जबकि वो भक्तों को शुभफल प्रदान करती हैं। मान्यता है कि मां कालरात्रि के पूजन से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।

By Jeetesh KumarEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 06:12 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 07:50 AM (IST)
Maa Kalratri Ki Aarti: आज करें मां कालरात्रि के कवच और आरती का पाठ, दूर होगा अकाल मृत्यु का भय
आज करें मां कालरात्रि के कवच और आरती का पाठ, दूर होगा अकाल मृत्यु का भय

Maa Kalratri Ki Aarti: मां दुर्गा के रौद्र रूप काली, भद्रकाली, महाकाली का ही एक स्वरूप मां कालरात्रि हैं। मां कालरात्रि का पूजन नवरात्रि की सप्तमी तिथि को किया जाता है। काली मां को कलियुग में प्रत्यक्ष फल देने वाली देवी माना जाता है। मान्यता है कि मां कालरात्रि के पूजन से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। मां कालरात्रि काल पर भी विजय प्रदान करती हैं। मां कालरात्रि का विकराल रूप दैत्यों, भूत-प्रेत के नाश के लिए, जबकि वो भक्तों को शुभफल प्रदान करती हैं। इस कारण ही मां को शुभंकरी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि के पूजन में रातरानी के फूल और गुड़ जरूर चढ़ाएं। ऐसा करने से मां शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी तरह के भय और दुख दूर करती हैं।

नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन मां कालारात्रि के पूजन के साथ मां के कवच और आरती का भी पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से भानु चक्र जाग्रत होता है। मां की कृपा से अग्नि, जल, आकाश, भूत-पिशाच भय तथा प्रेतबाधा समाप्त हो जाते हैं। मां कालरात्रि अपने भक्तों को सभी प्रकार का अभय प्रदान करती हैं।

मां कालरात्रि का कवच

ऊँ क्लींमें हदयंपातुपादौश्रींकालरात्रि।

ललाटेसततंपातुदुष्टग्रहनिवारिणी॥

रसनांपातुकौमारी भैरवी चक्षुणोर्मम

कहौपृष्ठेमहेशानीकर्णोशंकरभामिनी।

वíजतानितुस्थानाभियानिचकवचेनहि।

तानिसर्वाणिमें देवी सततंपातुस्तम्भिनी॥

मां कालरात्रि की आरती -

कालरात्रि जय-जय-महाकाली।

काल के मुह से बचाने वाली॥

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।

महाचंडी तेरा अवतार॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा।

महाकाली है तेरा पसारा॥

खडग खप्पर रखने वाली।

दुष्टों का लहू चखने वाली॥

कलकत्ता स्थान तुम्हारा।

सब जगह देखूं तेरा नजारा॥

सभी देवता सब नर-नारी।

गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा।

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥

ना कोई चिंता रहे बीमारी।

ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी कष्ट ना आवें।

महाकाली मां जिसे बचावे॥

तू भी भक्त प्रेम से कह।

कालरात्रि मां तेरी जय॥

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