Lord Shiva Life Mantra: भगवान शिव से मिलते हैं जीवन के 5 बड़े संदेश, जो दिखाते हैं सही राह

Lord Shiva Life Mantra भगवान शिव को देवों के देव महादेव ही नहीं कहा जाता बल्कि उन्हें उनके व्यक्तित्व के कई गुणों की वजह से भी सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसे में उनके व्यक्तित्व से सीखा जा सकता है कि कैसे जीवन में संतुलन लाना है-

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Thu, 07 Jan 2021 08:49 AM (IST) Updated:Thu, 07 Jan 2021 08:55 AM (IST)
Lord Shiva Life Mantra: भगवान शिव से मिलते हैं जीवन के 5 बड़े संदेश, जो दिखाते हैं सही राह
Lord Shiva Life Mantra: भगवान शिव से मिलते हैं जीवन के 5 बड़े संदेश, जो दिखाते हैं सही राह

Lord Shiva Life Mantra: भगवान शिव को देवों के देव महादेव ही नहीं कहा जाता, बल्कि उन्हें उनके व्यक्तित्व के कई गुणों की वजह से भी सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। कभी वो सौम्य-शांत हैं, तो कभी वो अत्यंत क्रोधी। ऐसे में उनके व्यक्तित्व से सीखा जा सकता है कि कैसे जीवन में संतुलन लाना है-

नकरात्मकताओं से गुजरते हुए भी सकरात्मक बने रहना

ज्योतिषविद् अनीष व्यास ने बताया कि समुद्र मंथन से जब विष बाहर आया, तो सभी ने कदम पीछे खींच लिए थे क्योंकि विष कोई नहीं पी सकता था। ऐसे में महादेव ने स्वयं विष (हलाहल) पिया और उन्हें नीलकंठ नाम दिया गया। इस घटना से बहुत बड़ा सबक मिलता है कि हम भी जीवन में आने वाली नकरात्मक चीजों को अपने अंदर रखकर या इससे गुजरते हुए भी जीवन की सकरात्मकता बनाए रख सकते हैं।

शांत रहकर खुद को नियंत्रित रखना

शिव से बड़ा कोई योगी नहीं हुआ। किसी परिस्थिति से खुद को दूर रखते हुए उस पर पकड़ रखना आसान नहीं होता है। महादेव एक बार ध्यान में बैठ जाएं, तो दुनिया इधर से उधर हो जाए, लेकिन उनका ध्यान कोई भंग नहीं कर सकता है। शिव का यह गुण हमें जीवन की चीजों पर नियंत्रण रखना सिखाता है।

जीवन के हर रूप को खुलकर जीना

शिव की जीवन शैली हो या उनका कोई अवतार, वे हर रूप में बिल्कुल अलग हैं। फिर वो रूप तांडव करते हुए नटराज हों, विष पीने वाले नीलकंठ, अर्धनारीश्वर, सबसे पहले प्रसन्न होने वाले भोलेनाथ का हो। वे हर रूप में जीवन को सही राह देते हैं।

बाहरी सुंदरता की जगह गुणों को चुनना

शिव का संपूर्ण रूप देखकर यह संदेश मिलता है कि हम जिन चीजों को अपने आस-पास देख भी नहीं सकते, उसे उन्होंने बड़ी आसानी से अपनाया है। उनके विवाह में भूतों की मंडली पहुंची थी। वहीं, शरीर में भभूत लगाए भोलेनाथ के गले में सांप लिपटा होता है। बुराई किसी में नहीं, बस एक बार आपको उसे अपनाना होता है।

अपनी प्राथमिकताओं को समझना

भगवान शिव को हमेशा से अपनी प्राथमिकताओं का भान रहा। उन्होंने अपनी पत्नी से प्रेम और सम्मान को सबसे ऊपर रखने के साथ अपने मित्र और भक्तों को भी उचित स्थान दिया।

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