Ram Mandir Bhumi Pujan: 05 अगस्त का ही दिन क्यों चुना गया राम मंदिर निर्माण के आगाज को?

Ram Mandir Bhumi Pujan आज राम मंदिर का शुभारंभ होने जा रहा है। ये सवाल आपके जेहन में भी उठा होगा कि आखिर 5 अगस्त का ही दिन क्यों चुना गया है

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 07:30 AM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 09:27 AM (IST)
Ram Mandir Bhumi Pujan: 05 अगस्त का ही दिन क्यों चुना गया राम मंदिर निर्माण के आगाज को?
Ram Mandir Bhumi Pujan: 05 अगस्त का ही दिन क्यों चुना गया राम मंदिर निर्माण के आगाज को?

Ram Mandir Bhumi Pujan: आज 5 अगस्त है। उत्तर प्रदेश की अयोध्या नगरी में आज राम मंदिर का शुभारंभ होने जा रहा है। ये सवाल आपके जेहन में भी उठा होगा कि आखिर 5 अगस्त का ही दिन क्यों चुना गया है, इस पूनीत कार्य के लिए। जानकारों की मानें तो राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए 5 अगस्त का दिन चुना जाना बहुत ही शुभ है। दरअसल इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। भूमि पूजन अभिजीत मुहूर्त में होगा। भूमि पूजन कार्यक्रम का आरंभ धनिष्ठा नक्षत्र में और समापन शतभिषा नक्षत्र में होगा। इन नक्षत्रों में भूमि पूजन के लिए काशी से भी पंडितों को बुलाया गया है। अभिजीत मुहूर्त में भगवान राम का जन्म हुआ था और इसी मुहूर्त में उन्ही के मंदिर के निर्माण की पूजा होगी। रामचरित मानस में उनके जन्म और मुहुर्त के बारे में लिखा है नवमी तिथि मधुमास पुनीता शुक्ल पक्ष अभिजित हरिप्रीता...।

पांच नक्षत्रों के प्रतीक रखी जाएगी पांच चांदी की ईंट:

ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी 40 किलो की चांदी की ईंट को गर्भगृह में रखेंगे। साथ ही पांच चांदी की ईंट और रखी जाएंगी जो पांच नक्षत्रों के प्रतीक होंगी। करीब साढ़े तीन फीट का गड्ढा खोदा जाएगा जिसमें पाताल लोक के देवता की पूजा की जाएगी और प्रार्थना की जाएगी की लाखों सालों तक इस मंदिर को कोई नुकसान ना पहुंचे।

धनिष्ठा नक्षत्र का भूमि से है संबंध:  

धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी मंगल हैं जो भूमि के कारक ग्रह हैं। इस नक्षत्र में भूमि पूजन कार्यक्रम का आरंभ होगा। वसु इस नक्षत्र के देवता हैं जो विष्णु और इंद्र के रक्षक हैं। इसलिए यह समय को भूमि पूजन के लिए शुभ संयोग माना जा रहा है। 27 नक्षत्रों में से धनिष्ठा को 23वां नक्षत्र माना जाता है। कुछ ज्योतिष इस नक्षत्र का संबंध भगवान शिव और कृष्ण से भी संबंध मानते हैं।

अभिलाषाएं पूरी करता है शतभिषा नक्षत्र:  

भूमि पूजन के कार्यक्रम का अंत शतभिषा नक्षत्र में होगा। इस नक्षत्र के बारे में ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि शतभिषा नक्षत्र ऐसा नक्षत्र है जो 100 अभिलाषाओं को पूर्ण करता है। शतभिषा नक्षत्र भूमि पूजन का समापन होना इसकी शुभता को दर्शाता है और मंदिर निर्माण के सफल होने की गवाही देता है।

कैसा होगा भूमि पूजन:

राम मंदिर के नींव पूजन में प्रधानमंत्री तांबे का कलश स्थापित करेंगे। मंदिर की नींव पूजन में प्रयुक्त होने वाले ताम्र कलश में वैदिक रीति के मुताबिक गंगाजल के साथ सभी तीर्थों के जल, सर्वऔेषधि, पंच रत्न जिनमें हीरा, पन्ना, माणिक, सोना और पीतल रखे जाएंगे। इसके साथ ही पाताल लोक के राजा शेषनाग और शेषावतार की प्रसन्नता के लिए चांदी के नाग-नागिन, भूमि के आधार देव भगवान विष्णु के कच्छप अवतार के प्रतीक कछुआ भी नींव में स्थापित किए जाएंगे। मंगल कलश में सेवर घास रखकर सभी तीर्थों सहित गंगाजल से इस कलश को भरा जाएगा। वैदिक वास्तु पूजन और विधान के अनुसार कलश स्थापित करने के बाद नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता और पूर्णा नाम की पांच ईंटों/ शिलाओं की पूजा की जाएगी। इस वैदिक पूजन के बाद ही सारी सामग्री नींव में स्थापित कर मंदिर का औपचारिक निर्माण आरंभ किया जाएगा. इस प्रकार श्रीराम मंदिर का श्रीगणेश होगा।

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