Ram Mandir Bhumi Pujan: आज इस मुहूर्त में होगा राम मंदिर का भूमि पूजन, जानें प्रभु श्रीराम की कुंडली में क्या है विशेष

Ram Mandir Bhumi Pujan राम मंदिर निर्माण के लिए आज दोपहर का चक्रसुदर्शन मुहूर्त यानी कि अभिजित मुहूर्त ही श्रेष्ठ रहेगा।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 04 Aug 2020 01:40 PM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 09:24 AM (IST)
Ram Mandir Bhumi Pujan: आज इस मुहूर्त में होगा राम मंदिर का भूमि पूजन, जानें प्रभु श्रीराम की कुंडली में क्या है विशेष
Ram Mandir Bhumi Pujan: आज इस मुहूर्त में होगा राम मंदिर का भूमि पूजन, जानें प्रभु श्रीराम की कुंडली में क्या है विशेष

Ram Mandir Bhumi Pujan: रामचरित मानस में कहा गया है कि नवमी तिथि मधुमास पुनीता। सुकल पक्ष अभिजीत हरिप्रीता।। मध्यदिवस अतिशीत न घामा पावन काल लोक विश्रामा।। इस पंक्ति के आधार पर माना जाता है कि राम का जन्म दोपहर 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट के मध्य हुआ था। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि 'चक्रसुदर्शन मुहूर्त' में नारायण ने पृथ्वी पर जन्म लिया था। आदिकाल में विश्वकर्मा ने इसी मुहूर्त में सूर्य के अतिशय तेज से शिव का त्रिशूल, वज्र, और चक्र सुदर्शन का निर्माण किया था। यह मुहूर्त आज भी सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसके मध्य किया गया कोई भी कार्य कभी असफल नहीं होता। अतः राम मंदिर निर्माण के लिए 05 अगस्त को दोपहर का चक्रसुदर्शन मुहूर्त यानी कि अभिजित मुहूर्त ही श्रेष्ठ रहेगा। 5 अगस्त को अभिजीत मुहूर्त में ही राम मंदिर की आधारशिला रखी जा रही है।

भूमि पूजन का समय शुभ: 

5 अगस्त को श्री राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन का समय कितना शुभ है और इस दिन क्या-क्या संयोग बन रहे हैं इस पर विभिन्न ज्योतिषाचार्य ने अपने विचार प्रकट किए हैं। इसके साथ ही विभिन्न धर्म ग्रंथों, वेदों और ज्योतिष शास्त्र के जानकारों के अनुसार मुहूर्त शुभ है। उनका मानना है कि जहां पर भगवान विष्णु के अवतार का मंदिर बन रहा है और उसमें फिर मुहूर्त अशुभ कैसे हो सकता है। भगवान शिव के अवतार हनुमान जी सारे संकट का निवारण करेंगे और भव्य राम मंदिर का निर्माण निर्विघ्नं होगा। 5 अगस्त को अयोध्या राम मंदिर का भूमि पूजन होते ही मंदिर निर्माण आरंभ हो जाएगा। भूमि पूजन का समय दोपहर अभिजीत मुहूर्त में निर्धारित किया गया है।

योग, लगन, ग्रह, वार, तिथि सकल भये अनुकूल।

शुभ अरु अशुभ हर्षजुत राम जनम सुखमूल।

भगवान श्री राम की कुंडली का विश्लेषण:

भगवान राम का जन्म कर्क लग्न और कर्क राशि में ही हुआ था। उनकी जन्म कुंडली में पांच ग्रह उच्च थे। भगवान राम की जन्म कुंडली में लग्न में ही चंद्रमा और बृहस्पति हैं यहां पर बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में है। जिसकी वजह से भगवान राम शील स्वाभाव के थे और इसी योग के कारण वह मर्यादा पुरूषोतम भी बने। उनके तीसरे भाव में राहु था जिसकी वजह से वे पराक्रमी, साहसी और शौर्यवान बने। वहीं उनके चौथे भाव में उच्च के शनि तुला राशि में स्थित है जो यह उन्हें परोपकारी स्वाभाव, मर्यादित, भूमि भवन और वाहन और सभी प्रकार के सुख आदि प्राप्त करता है। सांतवे भाव में मंगल उच्च राशि के मकर में होने के कारण उन्हें अल्प विवाह सुख की प्राप्ति हुई थी। नवम भाव में शुक्र और केतु मीन राशि में यहां पर यह राशि शुक्र की उच्च राशि मानी जाती है। जिसकी वजह से उन्होंने असुरी शक्तियों को नाश किया और जनमानस को निर्भय जीवन दिया।

श्री राम की संभावित कुंडली

इसके साथ ही दशम भाव में सूर्य मेष राशि में उच्च होने की वजह से उन्होंने पिता का मान बढ़ाया इसी योग के कारण भगवान राम चक्रवती सम्राट बने। ग्यारहवें भाव में बुध अपने मित्र शुक्र की राशि वृषभ में स्थित हैं। जिसकी वजह से उनकी कुंडली में अपार धन संपदा का योग बन रहा है। जिसकी वजह से उनके पास अपार धन संपदा भी थी। इस प्रकार के योग किसी आम इंसान की कुंडली में हो ही नहीं सकते। भगवान राम की जन्म कुंडली के उच्च कोटी के राजयोग थे।

भगवान राम कर्तव्य परायण थे। अपनी प्रजा के प्रति वह किसी भी प्रकार कोई दुख नहीं देख सकते थे। भगवान राम सभी लोगलेकिन भगवान राम जन्म लग्न से मांगलिक थे। क्योंकि मंगल उच्च का होकर सातवें भाव में बैठा हुआ है और इसके साथ ही दांपत्य जीवन के कारक ग्रह शुक्र का केतु के साथ होने की वजह से भगवान राम को माता सीता से वियोग का सामना भी करना पड़ा था। इसके साथ ही भगवान राम के जन्म लग्न पर शनि और मंगल की दृष्टि पड़ने के कारण उनकी जन्म कुंडली में राजभंग योग भी लगा। जिसकी वजह से उनका राज्य अभिषेक होते होते रह गया और उन्हें चौदह वर्ष का वनवास भी भुगतना पड़ा।

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