जाने कैसे हुआ नवग्रह के सबसे प्रभावी ग्रह शनि का जन्‍म

शनि देव के जन्‍म की कथायें प्रचलित हैं आज हम आपको सुना रहे हैं स्कंध पुराण में वर्णित उनके जन्‍म की कहानी।

By Molly SethEdited By: Publish:Thu, 25 Jan 2018 05:00 PM (IST) Updated:Sat, 23 Mar 2019 07:00 AM (IST)
जाने कैसे हुआ नवग्रह के सबसे प्रभावी ग्रह शनि का जन्‍म
जाने कैसे हुआ नवग्रह के सबसे प्रभावी ग्रह शनि का जन्‍म

ऐसा है शनि ग्रह

हमारे जीवन में शनि ग्रह का अदभुत महत्व है। शनि को सौर जगत के नौ ग्रहों में से सातवां ग्रह माना जाता है। ये फलित ज्योतिष में अशुभ ग्रह भी माना जाता है। यदि खगोल शास्त्र की दृष्‍टि से देखें तो आधुनिक अध्‍ययन के अनुसार शनि की धरती से दुरी लगभग नौ करोड़ मील है। इसका व्यास एक अरब बयालीस करोड़ साठ लाख किलोमीटर और इसकी गुरुत्व शक्ति धरती से पंचानवे गुना अधिक है। शनि को सूरज की परिक्रमा करने पर उन्नीस वर्ष लगते है | अंतरिक्ष में शनि घनी नीली आभा से युक्‍त, एक बलवान, प्रभावी, ग्रह है, जिसके 22 उपग्रह हैं।

शनि की जन्‍म कथा

श्री शनैश्वर देवस्थान के अनुसार शनिदेव की जन्म गाथा या उत्पति के संदर्भ में कई मान्‍यतायें हैं। इनमें सबसे अधिक प्रचलित गाथा स्कंध पुराण के काशीखण्ड में दी गई है। इसके अनुसार सूर्यदेवता का ब्याह दक्ष कन्या संज्ञा के साथ हुआ। वे सूर्य का तेज सह नहीं पाती थी। तब उन्‍होंने विचार किया कि तपस्या करके वे भी अपने तेज को बढ़ा लें या तपोबल से सूर्य की प्रचंडता को घटा दें। सूर्य के द्वारा संज्ञा ने तीन संतानों को जन्म दिया, वैवस्वत मनु, यमराज, और यमुना। संज्ञा बच्चों से भी बहुत प्यार करती थी। एक दिन संज्ञा ने सोचा कि सूर्य से अलग होकर वे अपने मायके जाकर घोर तपस्या करेंगी और यदि विरोध हुआ तो कही दूर एकान्त में जाकर अपना कर्म करेंगी। इसके लिए उन्‍होंने तपोबल से अपने ही जैसी दिखने वाली छाया को जन्म दिया, जिसका नाम ' सुवर्णा ' रखा। उसे अपने बच्चोँ की जिम्मेदारी सौंपते हुए कहा कि आज से तुम नारी धर्म मेरे स्थान पर निभाओगी और बच्चों का पालन भी करोगी। कोई आपत्ति आ जाये तो मुझे बुला लेना, मगर एक बात याद रखना कि तुम छाया हो संज्ञा नहीं यह भेद कभी किसी को पता नहीं चलना चाहिए। इसके बाद वे अपने पीहरचली गयीं। जब पिता ने सुना कि सूर्य का ताप तेज सहन ना कर सकने के कारण वे पति से बिना कुछ कहे मायके आयी हैं तो वे बहुत नाराज हुए और वापस जाने को कहा। इस पर संज्ञा घोडी के रूप में घोर जंगल में तप करने लगीं। इधर सूर्य और छाया के मिलन से तीन बच्चों का जन्म हुआ मनु, शनिदेव और पुत्री भद्रा ( तपती )। इस प्रकार सूर्य और छाया के दूसरे पुत्र के रूप में शनि देव का जन्‍म हुआ। 

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