Jitiya Vrat Puja Katha & Mantra: जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत में करें जीमूतवाहन की इस कथा का पाठ

Jitiya Vrat Puja Katha Mantra जितिया या जीवित्पुत्रिका का व्रत 29 सितंबर दिन बुधवार को रखा जाएगा। पूजा के समय पक्षी राज गरूड़ और जीमूतवाहन की कथा पाठ किया जाता है तथा संतान की दीर्घ आयु की कामना की जाती है।

By Jeetesh KumarEdited By: Publish:Wed, 29 Sep 2021 07:00 AM (IST) Updated:Wed, 29 Sep 2021 07:44 AM (IST)
Jitiya Vrat Puja Katha & Mantra: जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत में करें जीमूतवाहन की इस कथा का पाठ
जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत में करें जीमूतवाहन की इस कथा का पाठ

Jitiya Vrat Puja Katha & Mantra: सांतान की दीर्घ आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को जितिया या जीमूतवाहन व्रत भी कहा जाता है। जितिया व्रत में पौरिणिक पात्र जीमूतवाहन की पूजा का विधान है। इस साल जितिया या जीवित्पुत्रिका का व्रत 29 सितंबर, दिन बुधवार को रखा जाएगा। जितिया के व्रत में दिन भर निर्जला व्रत रख कर प्रदोष काल में पूजन का विधान है। पूजा के समय पक्षी राज गरूड़ और जीमूतवाहन की कथा पाठ किया जाता है तथा संतान की दीर्घ आयु की कामना की जाती है।

जितिया व्रत की कथा

कथा के अनुसार जीमूतवाहन एक धर्मपरायण और परोपकारी गंधर्व राज कुमार थे। पिता के वानप्रस्थ गमन के बाद उन्हें राजा बनाया गया, लेकिन उनका मन भी राज-पाट में नहीं लगता था। एक दिन जीमूतवाहन भी सारा राज-पाट भाईयों को सौंप कर वन की और चले गए। वहां पर ही उनका विवाह मलयवती नाम की एक कन्या से हुआ। एक दिन उन्हें वन में नागवंश की एक वृद्ध स्त्री रोती हुई मिली। कारण पूछने पर महिला ने बताया कि नागवशं और पक्षीराज गरूड़ के बीच एक समझौता है। प्रत्येक दिन नागकुल की एक संतान गरूड़ के पास उनका भोजन बनने के लिए जाती है। आज मेरे पुत्र शंखचूड़ की बारी है, वो मेरा एकलौता पुत्र है। मैं उसके बिना कैसे जीवित रहूंगी।

वृद्धा की समस्या सुन कर जीमूतवाहन, उसके पुत्र की जगह स्वयं गरूड़ का भोजन बनने के लिए चले गए । जैसे ही गरूड़ लाल कपड़े में लपटे हुए जीमूतवाहन को लेकर उड़ने लगे। जीमूतवाहन की आंखों से आंसू निकल आये और वो कराहने लगे।कराह सुन कर गरूड़ ने उनके रोने का कारण पूछा। तब उन्होनें गरूड़ को सारी घटना बताई।

पक्षीराज गरूड़ ने जीमूतवाहन की दया और परोपकारिता से प्रसन्न होकर उन्हें और पूरे नागवंश को जीवनदान दे दिया। इस तरह से नागवंश की सभी संतानों की रक्षा हुई और लोग जीमूतवाहन की पूजा करने लगे। तब से जितिया के दिन कुशा से बने जीमूतवाहन की पूजा और संतानों की दीर्घ आयु की कामना की जाती है।

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