ऊर्जा: मित्रता का महत्व- मित्रता पथप्रदर्शन है, हित चिंतन है, सहयोग है, समर्थन है, प्रेम है, समर्पण है, अटूट बंधन है

मानवता का मूल्य मित्रता के विभिन्न भावों में अंकित होता है। व्यक्तियों की तरह देशों में भी मित्रता होती है मधुर संबंध होते हैं। दो राष्ट्रों के बीच मित्रता ने शांति का मार्ग प्रशस्त किया है। भाई-भाई और पति-पत्नी के संबंध भी मित्रता की नींव पर सुदृढ़ हो सकते हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 03:32 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 03:32 AM (IST)
ऊर्जा: मित्रता का महत्व- मित्रता पथप्रदर्शन है, हित चिंतन है, सहयोग है, समर्थन है, प्रेम है, समर्पण है, अटूट बंधन है
कृष्ण-सुदामा का प्रसंग तो मित्रता की सीमाओं को भी लांघता है

ईश्वर, माता-पिता और गुरु के बाद सबसे महत्वपूर्ण संबंध मित्रता में निहित होता है। भाई-बहन एवं अन्य सगे-संबंधियों से भी बढ़कर मित्रता का यह महत्वपूर्ण संबंध देखा और सुना गया है। वस्तुत: मित्रता का भाव अत्यंत व्यापक है। यही एक मात्र ऐसी भावना है, जो सभी संबंधों में अतंर्निहित होती है। ईश्वर के साथ मित्रता का अनुभव सर्वाधिक चर्चित एवं मुखरित हुआ, जिसकी व्याख्या पुराणों में भरी पड़ी है। उपनिषदों में यह प्रेम की मीमांसा के मूलाधार के रूप में र्विणत है। रामायण और महाभारत में मित्रता के भिन्न रूपों का निरूपण है। राधा-कृष्ण का प्रेम हो या गोपियों संग रास हो, सबमें मित्रता की बात निहित है। कृष्ण-सुदामा का प्रसंग तो मित्रता की सीमाओं को भी लांघता है, जो पटरानी रुक्मिणी तक को असहज करने वाला है। देवलोक में मित्रता का मापदंड है, जिससे सभी देवता बंधे हैं।

धरती पर मानव के लिए पड़ोस, मुहल्ला, गांव, बाजार या नगर-सर्वत्र दोस्ती की पगडंडियां विद्यमान हैं। सामाजिक एवं आर्थिक संबंधों में भी मित्रता की अमर बेल जीवन यात्रा की दिशा तय करती है। भाई-भाई और पति-पत्नी के संबंध भी मित्रता की नींव पर ही सुदृढ़ हो सकते हैं। यही नहीं, मानव तो जानवरों से भी मित्रता का अवसर ढूंढता है। मानवता का मूल्य मित्रता के विभिन्न भावों में अंकित होता है। व्यक्तियों की तरह देशों में भी मित्रता होती है, परस्पर मधुर संबंध होते हैं। दो राष्ट्रों के बीच मित्रता ने शांति का मार्ग प्रशस्त किया है।

मानव की मित्रता उसके जीवन को आयाम देती है, नया संसार रचती है। मित्रता, जिसे संगति के परिप्रेक्ष्य में परिभाषित किया जाता है, हर मनुष्य की वैचारिक पूंजी की तरह है। यह मानव की मानसिक यात्रा भी है, जो सपनों को साकार करती है। एक बौद्धिक यात्रा है, जो चरित्र का निर्माण करती है। मित्रता पथप्रदर्शन है, हित चिंतन है, सहयोग है, समर्थन है, प्रेम है, समर्पण है। यह अटूट बंधन है। वास्तव में यह जीवन की एक अनमोल कड़ी है।

- डाॅ. राघवेंद्र शुक्ल

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