Professor Cheiro Prophecies: कीरो ने भारत के लिए की थी ये अद्भूत भविष्यवाणी
Professor Cheiro Prophecies प्रोफेसर कीरो का जन्म नवंबर 1866 में इंग्लैंड में हुआ था। 17 वर्ष की उम्र में कीरो मुंबई आकर ज्योतिषी वेदनारायण जोशी से मिले।
Professor Cheiro Prophecies: प्रोफेसर कीरो का जन्म नवंबर 1866 में इंग्लैंड में हुआ था। 17 वर्ष की उम्र में कीरो मुंबई आकर ज्योतिषी वेदनारायण जोशी से मिले। उनके परामर्श से ही वो हिमालय, कश्मीर, लद्दाख और वाराणसी पहुंचेगा। यहां से उन्होंने ज्योतिष शास्त्र का गहन अध्ययन किया। कीरो ने अपने जीवन में कई भविष्यवाणियां की जिनकी जानकारी हम आपको यहां दे रहे हैं।
प्रोफेसर कीरो की 5 भविष्यवाणियां:
1. कीरो ने युवराज एडवर्ड सप्तम से कहा था कि 1 महीने बाद अगस्त 1902 में उनका राज्याभिषेक होगा। यह कीरो ने तब कहा था जब एडवर्ड मौत के मुंह में थे। एडवर्ड की मृत्यु 69 वर्ष तक की आयु तक नहीं होगी, यह भी कहा था। कहा जाता है कि जैसा कीरो ने कहा था उसी अनुसार, एडवर्ड सप्तम 69 वर्ष की आयु तक जीवित रहे।
2. कीरो ने सन् 1931 में भविष्यवाणी की थी कि इस दशक के अंत तक विश्वयुद्ध होगा। साथ ही यह भी कहा था कि युद्ध के बाद इंग्लैंड भारत को स्वतंत्र कर देगा। लेकिन हिंदू और मुसलमानों के बीच इस सदी का भीषणतम नरसंहार होगा।
3. डॉ. मेयर की हस्तरेखाओं का अध्ययन कीरो ने बताया था कि वो हाई कोर्ट द्वारा मृत्युदंड दिए जाने के आदेश के बावजूद भी जिंदा बच जाएगा। भविष्यवाणी करते समय वो 44 वर्ष थे। तब कीरो ने कहा था कि वो मौत से 15 वर्ष दूर हैं। 15 वर्ष बाद वो अपनी शैया पर बीमारी से मरेगा। कहा जाता है कि ऐसा ही हुआ था। आदेश में कानूनी त्रुटि के चलते न्यायालय ने मृत्युदंड को रोक दिया था।
4. अध्ययन करते समय उन्हें पता चला था कि भारत का भविष्य बहुत उज्जवल है। इस बात को लेकर वो महारानी एलिजाबेथ के पास गए। उन्होंने महारानी से कहा कि अगर आजादी के 50 साल के अंदर-अंदर भारत में कोई महापुरुष खड़ा हो गया, तो भारत कभी गुलाम नहीं बनेगा। लेकिन अगर 50 वर्षों में कोई महापुरुष न हुआ और भारत गुलाम बन गया तो उसे कभी भी कोई आजाद नहीं करा पाएगा।
5. कीरो ने यह भी कहा था कि भारत का सूर्य बहुत बलवान है। यह कुंभ राशि में है। ऐसे में भारत की प्रगति को कोई भी रोक नहीं पाएगा। साथ ही कहा था कि भारत में एक चेतना पुरुष का जन्म होगा जो गुरू-शिष्य की परंपरा का पालन करेगा। इसकी आध्यात्मिक क्षमता, समस्त विश्व की भौतिक क्षमता कई ज्यादा होगी।
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