Happy Easter 2019 History and Significance: जानिए क्या है ईस्टर का महत्व और कैसे मनाते हैं इसे
Happy Easter 2019 History and Significance ईसाई धर्म में ईस्टर (Happy Easter ) खुशी का दिन होता है। इसे खजूर का संडे भी कहते हैं। कहते हैं कि इस दिन यीशु फिर से जीवित हो उठे थे।
नई दिल्ली, जेएनएन। यीशु मसीह के दोबारा जीवित होने की खुशी पर ईस्टर डे (Easter Day) मनाया जाता है। Easter Day ईसाई धर्म का दूसरा सबसे बड़ा फेस्टिवल है। इसे रविवार को मनाया जा रहा है। ईसाई धर्म में ईस्टर (Happy Easter ) खुशी का दिन होता है। ईसाई इसे क्रिसमस की तरह सेलिब्रेट करते हैं। इस साल ईस्टर 21 अप्रैल को मनाया जा रहा है। इसे खजूर का संडे भी कहते हैं। यह त्यौहार जीवन के बदलाव के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। 'ईस्टर' शब्द जर्मन के 'ईओस्टर' शब्द से लिया गया, जिसका अर्थ है 'देवी'। यह देवी वसंत की देवी मानी जाती थी। पुराने वक्त में ईसाई ईस्टर रविवार को ही पवित्र दिन के रूप में मानते थे, लेकिन चौथी सदी के बाद गुड फ्रायडे समेत ईस्टर से पहले आने वाले प्रत्येक दिन को पवित्र माना गया।
जीवित हो उठे थे यीशु
मान्यता के अनुसार सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन ईस्टर के दिन प्रभु यीशु फिर से जीवित हो गए थे।फिर से जीवित होने के बाद 40 दिन तक प्रभु यीशु अपने शिष्यों और दोस्तों के साथ रहे और अंत में स्वर्ग चले गए। अनुयायियों ने प्रभु यीशु के जी उठने को ईस्टर घोषित कर दिया।
यूं करते हैं सेलिब्रेशन
ईस्टर रविवार से पहले सभी गिरजाघरों में रात्रि जागरण और अन्य धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती हैं। लोग मोमबत्तियां जलाकर प्रभु यीशु में अपने विश्वास प्रकट करते हैं। ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियां अपने घरों में जलाने और दोस्तों को बांटने की भी परंपरा है। ईसाई इस दिन व्रत रखते हैं। ईस्टर के दिन लोग अपने घरों में रंगीन अंडे छिपा देते हैं ताकि सुबह बच्चे उन्हें ढूंढ सकें। इसके अलावा लोग अपने दोस्तों को चाकलेट, खरगोश और मार्शमेलो जैसे तोहफे देते हैं।
क्या है सनराइज सर्विस
ईस्टर की आराधना सुबह में महिलाओं द्वारा की जाती है क्योंकि इसी वक्त यीशु का पुनरुत्थान हुआ था। यीशु सबसे पहले मरियम मगदलीनी नामक महिला ने देख अन्य महिलाओं को इस बारे में बताया था। इसे सनराइज सर्विस कहते हैं। सुबह की प्रार्थना के अलावा दोपहर 12 बजे से पहले भी आराधना होती है।