Guru Ravidas Jayanti: आज गुरु रविदास की जयंती पर पढ़ें उनके अनमोल वचन

Guru Ravidas Jayanti आज गुरु रविदास की जयंती है। इनका जन्म माघ मास में पूर्णिमा रविवार को संवत 1388 को हुआ था। इनके पिता का नाम राहू और माता का नाम करमा था। इनकी पत्नी का नाम लोना बताया जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 08:34 AM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 08:34 AM (IST)
Guru Ravidas Jayanti: आज गुरु रविदास की जयंती पर पढ़ें उनके अनमोल वचन
Guru Ravidas Jayanti: आज गुरु रविदास की जयंती पर पढ़ें उनके अनमोल वचन

Guru Ravidas Jayanti: आज गुरु रविदास की जयंती है। इनका जन्म माघ मास में पूर्णिमा, रविवार को संवत 1388 को हुआ था। इनके पिता का नाम राहू और माता का नाम करमा था। इनकी पत्नी का नाम लोना बताया जाता है। इन्हें संत रविदास, गुरु रविदास, रैदास, रूहिदास और रोहिदास जैसे कई नामों से जाना जाता है। संत रविदास बेहद ही दयालु व्यक्ति थे। इनका स्वभाव बेहद परोपकारी था। इनका ज्यादातर समय प्रभु भक्ति एवं सत्संग में बीतता था। इनकी ज्ञान और वाणी इतनी मधुर थी कि सभी लोग प्रभावित होते थे। तो आइए संत रविदास की जयंती पर पढ़ें उनके अनमोल वचन।

संत रविदास के अनमोल वचन:

1. किसी के लिए भी पूजा इसलिए नहीं करनी चाहिए क्योंकि वो किसी पूजनीय पद पर बैठा है। अगर व्यक्ति में योग्य गुण नहीं हैं तो उसकी पूजा न करें। लेकिन अगर कोई व्यक्ति ऊंचे पद पर नहीं बैठा है लेकिन उसमें योग्य गुण हैं तो ऐसे व्यक्ति की पूजा करनी चाहिए।

2. भगवान उस ह्रदय में निवास करते हैं जहां किसी भी तरह का बैर भाव नहीं होता है। न ही कोई लालच या द्वेष नहीं होता है।

3. कोई व्यक्ति जन्म से छोटा या बड़ा नहीं होता है, वो अपने कर्मों से बड़ा-छोटा होता है।

4. हमेशा कर्म करते रहो लेकिन उससे मिलने वाले फल की आशा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य।

5. जिस तरह से तेज हवा के चलते सागर में बड़ी लहरें उठती हैं और फिर से सागर में ही समा जाती हैं। सागर से अलग उनका कोई अस्तित्व नहीं होता है। इसी तरह से परमात्मा के बिना मानव का भी कोई अस्तित्व नहीं है।

6. कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न दें। इस छोटी से चींटी शक्कर के दानों को बीन सकती है परन्तु एक विशालकाय हाथी ऐसा नहीं कर सकता।

7. मोह-माया में फसा जीव भटक्ता रहता है। इस माया को बनाने वाला ही मुक्तिदाता है।

8. भ्रम के कारण सांप और रस्सी तथा सोने के गहने और सोने में अन्तर नहीं जाना जाता। लेकिन जैसे ही भ्रम दूर हो जाता है वैसे ही अंतर ज्ञात होने लगता है। इसी तरह अज्ञानता के हटते ही मानव आत्मा, परमात्मा का मार्ग जान जाती है, तब परमात्मा और मनुष्य मे कोई भेदभाव वाली बात नहीं रहती।

9. जीव को यह भ्रम है कि यह संसार ही सत्य है किंतु जैसा वह समझ रहा है वैसा नहीं है, वास्तव में संसार असत्य है।  

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