Guru Nanak Jayanti 2019 Celebration: गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती, ऐसे बनाएं गुरु पर्व को खास

Guru Nanak Jayanti 2019 Celebration सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव जी की आज 550वीं जयंती है। देश-दुनिया में इसे 550वें प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जा रहा है।

By Kartikey TiwariEdited By: Publish:Mon, 11 Nov 2019 04:09 PM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 09:22 AM (IST)
Guru Nanak Jayanti 2019 Celebration: गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती, ऐसे बनाएं गुरु पर्व को खास
Guru Nanak Jayanti 2019 Celebration: गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती, ऐसे बनाएं गुरु पर्व को खास

Guru Nanak Jayanti 2019 Celebration: सिख धर्म के पहले गुरु नानक देव जी की आज 550वीं जयंती है। देश-दुनिया में इसे 550वें प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जा रहा है। इसे प्रकाशोत्सव और गुरु पर्व भी कहा जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आज कार्तिक पूर्णिमा है। इस दिन ही गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में तलवंडी नामक जगह पर हुआ, जिसे बाद में ननकाना साहिब के नाम से जाना गया। ननकाना साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है, जो सिखों का प्रमुख पवित्र स्थल है। गुरु पर्व के दिन सभी सिख परिवार अपने घरों को रोशनी से जगमग करते हैं, साथ ही सभी गुरुद्वारों को रोशनी से सजाते हैं।

गुरु पर्व से दो दिन पहले यानी 48 घंटे पहले से ही गुरुद्वारों में सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ सा​हिब का अखंड पाठ प्रांरभ हो जाता है। यह दो दिनों तक बिना रुके लगातार होता रहा है।

गुरु पर्व से एक दिन पहले यानी कार्तिक शुक्ल चतुदर्शी को नगरकीर्तन का आयोजन किया जाता है। इसमें गुरु ग्रंथ साहिब को पा​लकी में रखा जाता है और श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए नगर भ्रमण करते हैं।

गुरु पर्व के दिन गुरु नानक देव जी की जयंती का उत्सव ब्रह्म मुहूर्त में 3 बजे अमृत बेला से प्रारंभ होता है। अमृत बेला का समय तड़के 3 बजे से सुबह 6 बजे तक होता है, इस समय में ध्यान और प्रार्थना किया जाता है।

गुरु पर्व के दिन का प्रारंभ सुबह के भजन से होता है। उसके बाद कथा और कीर्तन होता है। इसके बाद भंडारे का आयोजन होता है। यह देश-दुनिया के सभी गुरुद्वारों में आयोजित किया जाता है।

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गुरु नानक देव जी ने समाज में व्याप्त जात-पात, गरीब-अमीर और ऊंच-नीच के भेदभाव को खत्म करने के लिए लंगर की शुरुआत की थी। इसमें सभी वर्ग और समुदाय के लोग जमीन पर पंगत में बैठकर भोजन का आनंद लेते हैं। इसमें स्वेच्छा से लोग सेवा करते हैं।

गुरु पर्व के दिन कुछ गुरुद्वारों में रात्रि प्रार्थना का भी आयोजन होता है। यह लगभग सूर्यास्त के बाद प्रारंभ होता है, जो देर रात तक चलता है। श्रद्धालु गुरु ग्रंथ साहिब के भजन देर रात 01:20 बजे गाए जाते हैं और लगभग 02 बजे तक चलते हैं। माना जाता है कि गुरु नानक देव जी का जन्म इसी समय में हुआ था।

गुरु नानक देव जी की याद में और उनकी दी गई शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करने के लिए हर वर्ष गुरु पर्व मनाया जाता है। साथ ही यह भी स्मरण कराया जाता है कि व्यक्ति अपना जीवन ईश्वर की सेवा में समर्पित कर दें।

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