Govardhan Puja 2020: क्यों की जाती है गोवर्धन पर्वत की पूजा, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Govardhan Puja 2020 आज देशभर में गोवर्धन पूजा की जा रही है। इस दिन को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवराज इंद्र के घमंड को चूर-चूर करने के लिए श्रीकृष्ण ने तूफान और बारिश से ब्रजवासियों की रक्षा की थी।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 15 Nov 2020 09:20 AM (IST) Updated:Sun, 15 Nov 2020 09:20 AM (IST)
Govardhan Puja 2020: क्यों की जाती है गोवर्धन पर्वत की पूजा, पढ़ें यह पौराणिक कथा
Govardhan Puja 2020: क्यों की जाती है गोवर्धन पर्वत की पूजा, पढ़ें यह पौराणिक कथा

Govardhan Puja 2020: आज देशभर में गोवर्धन पूजा की जा रही है। इस दिन को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवराज इंद्र के घमंड को चूर-चूर करने के लिए श्रीकृष्ण ने तूफान और बारिश से ब्रजवासियों की रक्षा की थी। उन्होंने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाया था। इस दिन का महत्व बहुत अधिक है। इस दिन लोग भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और उन्हें ढेरों व्यंजनों का भोग लगाते हैं। इस दिन गायों की पूजा भी की जाती है। मान्यता है कि इस दिन लोग गोवर्धन की परिक्रमा भी करते हैं। आइए जानते हैं इस दिन के पीछे छिपी पौराणिक कथा और इसके महत्व के बारे में।

गोवर्धन पूजा का महत्व:

इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने की भी मान्यता है। कहा जाता है कि इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने से व्यक्ति को इच्छानुसार फल प्राप्त होता है। हिन्‍दू धर्म में यह माना जाता है कि अगर कोई चारों धाम की यात्रा नहीं कर पा रहा है तो उसे गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा जरूर करनी चाहिए। कहा जाता है कि गोवर्धन पूजा के दिन अगर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की जाए तो उससे मोक्ष प्राप्त होता है।

गोवर्धन पूजा की कहानी:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रजवासियों को भगवान श्री कृष्ण ने देवराज इंद्र की पूजा करते देखा था। यह देख उनके मन में इच्छा उत्पन्न हुई कि वो इसके बारे में जानें। उन्होंने देखा कि उनकी मां भी इंद्र की पूजा कर रही थीं। उन्होंने इसका कारण जानना चाहा। तब उन्हें यह बताया गया कि जब इंद्र बारिश करते हैं तब ही हमारे खेतों में अन्न उत्पन्न होता है। हमारी गायों को चारा भी मिलता है। यह सुन इंद्र ने कहा कि हमारी गाय तो गोवर्धन पर्वत पर रहती हैं तो हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा की जानी चाहिए। जब ब्रजवासियों ने यह सुना तो उन्होंने गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी शुरू कर दी। यह देख इंद्र को गुस्सा आ गया और उन्होंने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी।

श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों की जान बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ उंगली पर उठाया और सभी ने उस पर्वत के नीचे शरण ली। इससे सभी की जान बची। फिर इंद्र को पता चला कि श्री कृष्ण विष्णु जी के अवतार हैं। तब उन्होंने कृष्ण भगवान से माफी मांगी। इसके बाद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पूजा के लिए कहा और इसे अन्नकुट पर्व के रूप में मनाया जाने लगा। 

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