Gangaur Vrat 2021: गणगौर व्रत के दिन मिलती है शिव-पार्वती की असीम कृपा, इस तरह करें पूजा

Gangaur Vrat 2021 चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर व्रत किया जाता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां और विवाहित महिलाएं व्रत करती हैं और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन पूजन के समय रेणुका का गौर बनाया जाता है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 09:00 AM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 09:08 AM (IST)
Gangaur Vrat 2021: गणगौर व्रत के दिन मिलती है शिव-पार्वती की असीम कृपा, इस तरह करें पूजा
Gangaur Vrat 2021: गणगौर व्रत के दिन मिलती है शिव-पार्वती की असीम कृपा, इस तरह करें पूजा

Gangaur Vrat 2021: चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर व्रत किया जाता है। इस दिन कुंवारी लड़कियां और विवाहित महिलाएं व्रत करती हैं और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन पूजन के समय रेणुका का गौर बनाया जाता है। फिर उसे महावर, सिंदूर और चूड़ी भी चढ़ाई जाती है। वहीं, चंदन, अक्षत, धूपबत्ती, दीप, नैवेद्य से पूजा-अर्चना भी की जाती है। इसे खासतौर से राजस्थान में किया जाता है। कथाओं के अनुसार, गण (शिव) तथा गौर(पार्वती) के इस पर्व में कुंवारी लड़कियां व्रत करती हैं और फलस्वरूप उन्हें मनपसंद वर की प्राप्ति होती है। वहीं, विवाहित महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करते हैं। आज गणगौर की पूजा की जा रही है।

गणगौर पूजा का शुभ मुहूर्त:

गणगौर पूजा, गुरुवार

तृतीया तिथि प्रारम्भ- अप्रैल 14 2021, बुधवार दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से

तृतीया तिथि समाप्त- अप्रैल 15 2021, गुरुवार दोपहर 3 बजकर 27 मिनट तक

गणगौर व्रत के दिन इस तरह करें पूजा:

इस दिन शिवज-गौरी की पूजा की जाती है। उन्हें सुंदर वस्त्र पहनाए जाते हैं। शिव-गौरी को सुंदर वस्त्र पहनाए जाते हैं। फिर उन्हें चन्दन,अक्षत, धूप, दीप, दूब व पुष्प से शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। एक बड़ी थाली ली जाती है और उसमें चांदी का छल्ला और सुपारी रखा जाता है। फिर उसमें जल, दूध-दही, हल्दी, कुमकुम घोला जाता है और सुहागजल तैयार किया जाता है। इसके बाद दोनों हाथों में दूब लें और जल में डुबोकर पहले गणगौर पर छीटें दें। फिर महिलाएं अपने ऊपर सुहाग के प्रतीक के तौर पर जल छिड़कें। इसके बाद आखिरी में चूरमे का भोग लगाएं और गणगौर माता की कहानी सुनें। इस दिन जो प्रसाद गणगौर पर चढ़ाया जाता है उसे पुरुषों द्वारा ग्रहण नहीं किया जाता है। माता पावृती को जो सिन्दूर चढ़ाया जाता है उन्हें महिलाएं उसे अपनी मांग में भरती हैं।  

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