Ganesha Gita: संक्षिप्त में जानें श्री गणेशगीता के बारे में, स्वयं बप्पा ने दिया था राजा वरेण्य को उपदेश

Ganesha Gita आप सभी ने श्रीमद्भगवद्गीता के बारे में तो सुना ही होगा।लेकिन क्या आपने श्री गणेश गीता के बारे में सुना है? अगर नहीं तो हम आपको बता दें कि श्री गणेश गीता का ज्ञान स्वयं गणपति ने युद्ध के बाद राजा वरेण्य को दिया था।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 08:00 AM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 10:42 AM (IST)
Ganesha Gita: संक्षिप्त में जानें श्री गणेशगीता के बारे में, स्वयं बप्पा ने दिया था राजा वरेण्य को उपदेश
Ganesha Gita: संक्षिप्त में जानें श्री गणेशगीता के बारे में, स्वयं बप्पा ने दिया था राजा वरेण्य को उपदेश

Ganesha Gita: आप सभी ने श्रीमद्भगवद्गीता के बारे में तो सुना ही होगा। इसमें 18 अध्यायों में 700 श्लोक हैं। लेकिन क्या आपने श्री गणेश गीता के बारे में सुना है? अगर नहीं तो हम आपको बता दें कि श्री गणेश गीता का ज्ञान स्वयं गणपति ने युद्ध के बाद राजा वरेण्य को दिया था। गणेशगीता के 11 अध्यायों में 414 श्लोक हैं। आइए संक्षिप्त में जानते हैं गणेशगीता के बारे में।

1. गणेशगीता का प्रथम अध्याय सांख्यसारार्थ नामक है। इसमें श्री गणेश ने राजा वरेण्य को शांति का मार्ग बतलाया था।

2. दूसरा अध्याय कर्मयोग नामक है। इसमें श्री गणेश जी ने राजा वरेण्य को कर्म के मर्म का उपदेश दिया था।

3. तीसरा अध्याय विज्ञानयोग नामक है। इसमें श्री गणेश ने राजा वरेण्य को अपने अवतार-धारण करने का रहस्य बतलाया था।

4. वैधसंन्यासयोग नाम के चौथे अध्याय में राजा वरेण्य को योगाभ्यास तथा प्राणायाम से संबंधित कई अहम बातें बतलाई थीं।

5. योगवृत्तिप्रशंसनयोग नाम के पांचवें अध्याय में योगाभ्यास के अनुकूल-प्रतिकूल देश-काल-पात्र के बारे में राजा वरेण्य को बताया था।

6. बुद्धियोग नामक छठे अध्याय में श्री गणेश ने राजा वरेण्य को बताया था कि मनुष्य में मुझे यानी ईश्वर को जानने की इच्छा तब उत्पन्न होती है जब किसी सत्कर्म का प्रभाव होता है। जैसा भाव होता है, उसके अनुरूप ही मैं उसकी इच्छा पूर्ण करता हूं। अंत में जो व्यक्ति मेरी इच्छा करता है और मुझमें लीन हो जाता है उनका योग-क्षेम मैं स्वयं वहन करता हूं।

7. सातवें यानी उपासनायोग नामक अध्यानय में श्री गणेश ने राजा को भक्तियोग का वर्णन किया है।

8. विश्वरूपदर्शनयोग नाम के आठवें अध्याय में श्री गणेश ने राजा को अपने विराट रूप का दर्शन कराया था।

9. श्री गणेश ने नौवें अध्याय में राजा वरेण्य को क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का ज्ञान तथा सत्व, रज, तम-तीनों गुणों का परिचय दिया है।

10. गणेशगीता का दसवां अध्याय उपदेशयोग नामक है। इसमें दैवी, आसुरी और राक्षसी-तीनों प्रकार की प्रकृतियों के बारे में राजा वरेण्य को श्री गणेश ने बतलाया है। इसमें बप्पा ने काम, क्रोध, लोभ और दंभ के बारे में बतलाया है।

11. इसका अंतिम अध्याय त्रिविधवस्तुविवेक-निरूपणयोग नामक है। इसमें राजा को गणेश जी ने कायिक, वाचिक तथा मानसिक भेद से तप के प्रकारों के बारे में बताया है।

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